MP High Court: बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों पर HC का कड़ा रुख, केंद्र और राज्य सरकार से मांगा हिसाब

MP High Court on Child Crime: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने तमाम मामलों का संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार से ऐसे मामलों को लेकर जवाब मांगा है. कोर्ट ने सरकार से सवाल किया है कि पॉक्सो एक्ट के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने क्या किया है, इसका जवाब दें.

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जबलपुर हाईकोर्ट ने बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों को लेकर स्वतः संज्ञान लिया

Children Crime in MP: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने बच्चों के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों पर सख्ती दिखाई है. कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने इन मामलों में स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार (Centre and State Government) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है कि पॉक्सो एक्ट (Pocso Act) (बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा देने वाला कानून) के प्रचार-प्रसार के लिए सरकारें क्या कदम उठा रही हैं. अदालत ने इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट सामने रखने के लिए निर्देश दिए है. 

लंबित मामलों पर जताई चिंता

चीफ जस्टिस ने मामले में सुनवाई के दौरान जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर बेंच में बच्चों पर अपराध से जुड़े लंबित मामलों पर चिंता जताई है. अदालत ने जानकारी दी है कि तीनों बेंचों में ऐसे 14,531 मामले लंबित हैं, जो न केवल न्याय प्रक्रिया को धीमा बना रहे हैं, बल्कि पीड़ितों के लिए न्याय की उम्मीद को भी कमजोर कर रहे हैं. हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद तय की है. 

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कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान 

अदालत ने निर्देश दिया है कि सरकारें इस अवधि में जवाब दाखिल करें और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए किए गए प्रयासों का ब्यौरा पेश करें. यह कदम बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और न्याय प्रक्रिया को तेज करने के उद्देश्य से उठाया गया है.

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