थाना परिसरों में मंदिर निर्माण: हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, दिया दो हफ्ते का समय

MP NEWS: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेशभर के पुलिस थानों में बनाए जा रहे मंदिरों के मामले में सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने इसके लिए दो हफ्ते का समय दिया है. साथ ही तय वक्त में जवाब नहीं देने पर ₹25,000 का जुर्माना जमा करने की बात कही गई है.

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MP NEWS: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेशभर के पुलिस थानों में बनाए जा रहे मंदिरों के मामले में सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने इसके लिए दो हफ्ते का समय दिया है. साथ ही तय वक्त में जवाब नहीं देने पर ₹25,000 का जुर्माना जमा करने की बात कही गई है. हालांकि राज्य सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्तों का समय मांगा था.  

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधिपति और विवेक जैन की युगल पीठ ने दो हफ्ते का अंतिम समय देते हुए स्पष्ट किया कि यदि जवाब तय समय पर नहीं दिया गया तो सरकार को ₹25,000 का जुर्माना जमा करना होगा. 

याचिका का आधार और मांगें

याचिकाकर्ता ओपी यादव की ओर से सतीश वर्मा, अमित पटेल और ग्रीष्म जैन ने दलील दी कि जबलपुर के सिविल लाइंस, विजय नगर, मदन महल और लॉर्डगंज थाना परिसरों में मंदिर निर्माण का यह उदाहरण प्रदेशभर में पुलिस थानों में जारी अवैध निर्माण की एक झलक है. पुलिस विभाग द्वारा इन निर्माणों के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई, जो सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है.

याचिका में मांग की गई है कि इन अवैध मंदिरों को तुरंत हटाया जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सिविल सर्विस रूल्स के तहत कार्रवाई की जाए. 

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न्यायालय की टिप्पणी और निर्देश

हाई कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (गृह विभाग), नगरीय प्रशासन विभाग, डीजीपी, जबलपुर के एसपी और संबंधित थाना प्रभारियों को नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया था कि अवैध निर्माण कार्य तुरंत रोके जाएं और भविष्य में ऐसा न हो, इसकी निगरानी की जाए. अगली सुनवाई की तिथि 12 दिसंबर निर्धारित की गई है.

वकीलों की टिप्पणी

याचिकाकर्ता के वकील सतीश वर्मा ने बताया कि यह मामला केवल जबलपुर के चार थानों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में इसी प्रकार अवैध निर्माण चल रहे हैं. पुलिस विभाग स्वयं इस प्रक्रिया में शामिल है, जो कानूनी प्रक्रिया का गंभीर उल्लंघन हो रहा है.

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इस मामले में हाई कोर्ट के सख्त रुख ने यह साफ कर दिया है कि अवैध निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगले कुछ दिनों में सरकार का जवाब और आगे की कार्यवाही इस मामले में निर्णायक साबित हो सकती है. 

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