हाईकोर्ट ने अड़चन की दूर, बड़े भाई को लीवर डोनेट कर सकेगा छोटा भाई,  8 फरवरी को होगा लिवर ट्रांसप्लांट  

Jabalpur High Court News: हाई कोर्ट ने अपने आदेश में सबसे मजबूत आधार जेनेटिक संबंधों को बनाया. अदालत ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के लिए डोनर की पत्नी की संपत्ति को महत्व नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने अपने आदेश में ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन एक्ट 1994 और ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन रूल्स-2014 के विभिन्न नियमों और उपबंधों को आधार बनाकर वकीलों की दलील और बहस के बाद ये आदेश सुनाया.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins

Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए एक छोटे भाई को बड़े भाई के लिए लिवर डोनेट करने की राह आसान कर दी है. इसके सात ही अदालत ने लिवर ट्रांसप्लांट के लिए 8 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है. दरअसल इस मामले में डोनर विकास अग्रवाल (Vikas Agrwal) की पत्नी ने आपत्ति उठाई थी. मामले में सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति राजमोहन सिंह (Rajmohan Singh) की एकलपीठ ने छोटे भाई को बड़े भाई की जान बचाने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट करने की अनुमति दे दी. इस मामले में डोनर अपनी पत्नी द्वारा लगाए गए अड़ंगे के विरुद्ध हाई कोर्ट (Jabalpur High Court) आया था. अदालत ने पारिवारिक सहमति न बनने और लिवर ट्रांसप्लांट से जुड़े नियमों को दरकिनार कर यह बड़ी राहत दी है.

जेनेटिक संबंधों को बनाया आधार

 हाई कोर्ट ने अपने आदेश में सबसे मजबूत आधार जेनेटिक संबंधों को बनाया. अदालत ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के लिए डोनर की पत्नी की संपत्ति को महत्व नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने अपने आदेश में ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन एक्ट 1994 और ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन रूल्स-2014 के विभिन्न नियमों और उपबंधों को आधार बनाकर वकीलों की दलील और बहस के बाद ये आदेश सुनाया.

पत्नी ने अटकाया था रोड़ा

दरअसल, यह मामला भोपाल की अरेरा कालोनी के अग्रवाल परिवार से संबंधित है. इस परिवार में दो भाई हैं.  बड़े भाई विवेक अग्रवाल को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई थी. परिवार में यह तय हुआ कि छोटे भाई विकास अग्रवाल का लिवर डोनेट किया जाएगा. टेस्ट के बाद डोनर छोटे भाई का लिवर भी बड़े भाई से मैच हो गया, लेकिन इसी बीच, विकास की पत्नी शिल्पा अग्रवाल ने पति द्वारा लिवर डोनेट करने पर आपत्ति दर्ज करा दी.

Advertisement

ये भी पढ़ें- CM मोहन के आदेश पर टीकमगढ़ प्रशासन हुआ सख्त, पटाखा दुकानों पर कार्रवाई कर अवैध विस्फोटक सामग्री की जब्त
 

Advertisement

नियमों में यह है प्रावधान

आपको बता दें कि लिवर ट्रांसप्लांट से जुड़े नियमों में प्रावधान है कि जब तक स्वजन राजी न हों, तब तक ऑर्गन डोनेट नहीं किया जा सकता. अस्पताल भी इस नियम से बंधे हुए हैं. इसलिए, हास्पिटल प्रबंधन ने शिल्पा अग्रवाल के एतराज के बाद लिवर ट्रांसप्लांट करने से हाथ खड़े कर दिए थे. इधर, पीड़ित विवेक की हालत दिन ब दिन बिगड़ रही थी. सारी कोशिशों के बाद जब रास्ता नहीं निकला, तो विकास ने हाईकोर्ट का रुख किया. विवेक अग्रवाल व विकास अग्रवाल समेत विवेक की पत्नी आभा अग्रवाल ने याचिका दायर करते हुए राहत की गुहार लगाई. दूसरी सुनवाई में ही हाई कोर्ट ने विवेक अग्रवाल की जान बचाने की राह आसान कर दी. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रकाश उपाध्याय ने पैरवी की थी.

Advertisement

ये भी पढ़ें- Exclusive: हरदा ब्लास्ट पर सामने आई बड़ी लापरवाही, बिना लाइसेंस के ही वर्षों से चल रहा था पटाखे बनाने का खतरनाक खेल