MP Excise Policy News: इस समय देश में दिल्ली के शराब घोटाले (MP Government Liquor Scam) का हल्ला मचा हुआ है. इसी बीच मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हुए शराब घोटाले (Liquor Scam) की जांच भी अब 6 वर्ष बाद ED ने शुरू कर दी है. दरअसल, लंबे समय से लंबित पड़े इस घोटाले की जांच की मांग अलग-अलग फोरम से की जा रही थी. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) शहर में साल 2018 में शराब घोटाला का मामला सामने आया था. तब इस मामले की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी. आरोप है कि इंदौर में शराब चालान घोटाले को आबकारी अफसरों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया था. इस शराब घोटाले का आंकड़ा लगभग 100 करोड़ तक पहुंचने के आसार हैं.
घोटाले को ऐसे दिया गया था अंजाम
दरअसल, इंदौर जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में वर्ष 2015 से 2018 के बीच सरकारी गोदाम से शराब लेने के लिए इस्तेमाल हुए 194 बैंक चालानों में गड़बड़ी सामने आई थी, जिसमें हजारों के बैंक चालानों को लाखों रुपये का बनाकर उतनी शराब गोदामों से उठाकर ठेकेदारों ने अपनी सरकारी शराब दुकान से बेच दी थी. इसी मामले में जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) को शिकायत की गई थी. लिहाजा, ED ने अब इस मामले की जांच शुरू कर दी है.
ED का पत्र लगा एनडीटीवी के हाथ
शराब घोटाले की जांच से संबंधित प्रथम निदेशालय (ED) ने जो पत्र आबकारी आयुक्त कार्यालय को लिखा है. वह पत्र एनडीटीवी के हाथ लगा है. इस पत्र में पांच सवालों के जवाब मांगे गए हैं.
यह लिखा है पत्र में
आपको बता दें कि इस संबंध में इंदौर के रावजी पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर 172/2017 दिनांक 11.08.2017 दर्ज की गई थी. इसी संबध में अब ईडी ने आबकारी विभाग द्वारा की गई आंतरिक जांच के आधार पर दर्ज प्राथमिकी के संबंध में विवरण उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है. इस पत्र में लिखा गया है कि शराब ठेकेदारों से वसूली गई राशि, यदि कोई हो तो उसका विवरण उपलब्ध कराएं. इसके अलावा शराब ठेकेदारों के बैंक खाते का विवरण भी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है. इसके अलावा जांच की वर्तमान स्थिति की जानकारी देने के लिए भी कहा है, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी. इसके अलावा, उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध अगर कोई जांच हुई है , तो उसकी आंतरिक जांच रिपोर्ट भी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है.
इस मामले में ये हुई थी ये कार्रवाई
जिला आबकारी कार्यालय इंदौर सहित अन्य जिला आबकारी कार्यालयों में सामने आए इस 42 करोड़ के घोटाले को लेकर 12 अगस्त 2017 को रावजी बाजार पुलिस में ठेकेदारों सहित 14 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया था. आरोप है कि आबकारी विभाग में इसके पहले तीन साल से फर्जी चालान जमा किए जा रहे थे. आबकारी विभाग के अफसरों को हर 15 दिन में चालान को क्रॉस चेक करना (तौजी मिलान) होना था, लेकिन उन्होंने तीन साल तक ऐसा नहीं किया. इसकी वजह से उनकी साठगांठ साफ नजर आ रही थी. जिस वक्त यह शराब घोटाला हुआ था, उस वक्त जिला आबकारी कार्यालय में जिला आबकारी अधिकारी के पद पर संजीव दुबे नियुक्त थे. यही वजह रही कि आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त संजीव कुमार दुबे सहित छह अफसरों को निलंबित कर दिया था. निलंबित अधिकारियों में लसूड़िया आबकारी वेयरहाउस के प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक, सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता के नाम भी शामिल हैं. इसके अलावा 20 अन्य अधिकारियों के तबादले भी किए थे, जिनमें उपायुक्त विनोद रघुवंशी का नाम भी शामिल था.
चालानों की जांच के बाद भी नतीजा सिफर रहा
मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में सामने आए 42 करोड़ के शराब घोटाले कि जांच में 11 ऑडिटरों ने एक-एक चालान की जांच की थी. घोटाले के समय से पहले के तीन सालो में इंदौर में शराब दुकाने 2015 में 556 करोड़ में , 2016 में 609 करोड़ में और 2017 में 683 कऱोड में नीलाम हुई थी. इस तरह 1700 करोड़ के शराब के चालानों की जांच की गई , लेकिन नतीजा शून्य ही रहा.
राशि नहीं वसूली जा सकी
इंदौर के इस सबसे बड़े शराब घोटाले में अब तक सिर्फ 20 करोड़ रुपये ही वसूल हो पाए हैं. बची हुई राशि 20 करोड़ से ज्यादा की वसूली नहीं हो पाई है. यही कारण है एक समय आबकारी विभाग ने नियम अनुसार घोटालेबाज शराब ठेकेदार एमजी रोड समूह के अविनाश और विजय श्रीवास्तव, जीपीओ चौराहा समूह के राकेश जायसवाल, तोप खाना समूह योगेंद्र जायसवाल, बाय पास चौराहा देवगुराड़िया समूह राहुल चौकसे, गवली पलासिया समूह सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल की संपत्ति की जानकारी जुटाकर नीलाम करने की बात कही थी, लेकिन अब तक घोटाले की राशि की वसूली नहीं हो पाई.
ये भी पढ़ें- Chhattisgarh: एक्सीडेंट में पिता घायल, खुद के सिर-पैर में लगे टांके, फिर भी परीक्षा देने पहुंच गई छात्रा
Ed की जांच पर अधिकारी मौन
इंदौर के वर्तमान जिला आबकारी अधिकारी मनीष खरे से जब एनडीटीवी ने बात की और ED के पत्र को लेकर जानकारी लेने की कोशिश की तो उन्होंने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ED का पत्र मिला था, जो जानकारी मांगी गई थी वह दे दी गई है.
ये भी पढ़ें- Corruption: पन्ना में किसानों से खरीदा गया एक हजार क्विटल गेहूं, पर गोदाम पहुंचने से पहले ही हो गया गायब