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MP-CG News: छत्तीसगढ़ में इन नए इंजीनियरिंग कोर्स में आप कर सकते हैं एप्लॉई, पूरी जानकारी है यहां

Chhattisgarh News: जीआईएस-जीपीएस एक ऐसी तकनीक है. जिससे विभिन्न प्रकार के एडवांस सॉफ्टवेयर की मदद से टारगेट एरिया की मैपिंग होती है. इसका उपयोग अर्थ साइंस, एग्रीकल्चर, डिफेंस, न्यूक्लियर साइंस, आर्किटेक्चर, टाउन प्लानर, मैपिंग, मोबाइल में खूब अधिक होता है. जीआईएस का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां भी अपनी कार्य-प्रणाली के हिसाब से कुछ खास तरह की जीआईएस का उपयोग कर रही है.

MP-CG News: छत्तीसगढ़ में इन नए इंजीनियरिंग कोर्स में आप कर सकते हैं एप्लॉई, पूरी जानकारी है यहां
MP-CG News: जीआईएस-जीपीएस एक ऐसी तकनीक है. जिससे विभिन्न प्रकार के एडवांस सॉफ्टवेयर की मदद से टारगेट एरिया की मैपिंग होती है.

Chhattisgarh News: प्रदेश में पहली बार जीआईएस-जीपीएस (जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम एंड ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम) और इलेक्ट्रिक व्हीकल में डिप्लोमा इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू होगी. छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई से नए जमाने के इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स की मंजूरी मिल चुकी है. नए शिक्षण सत्र 2024-25 से चिरमिरी और जशपुर-बगीचा में खुलने वाले नए पॉलीटेक्निक कॉलेज में 60-60 सीटों पर दाखिला हो पाएगा.

आईएस-जीपीएस कोर्स की तकनीकी बाजार में काफी है मांग

आपको बता दें कि शुरू होने वाले दोनों इंजीनियरिंग डिप्लोमा नए जमाने मॉडर्न टेक्नोलॉजी कोर्स हैं. एक्सपर्ट की माने तो जीआईएस एक ऐसी उन्नत तकनीक है. जिसे पूरी दुनिया तेजी से अपना रही है. भारत में भी नई तकनीक प्रयोग में लाई जा रही है. जिससे इस क्षेत्र से कोर्स करने वालों के लिए अपार संभावनाएं हैं. जीआईएस-जीपीएस कोर्स की तकनीकी बाजार में मांग बढ़ने लगी है. यह सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है. दोनों नए कोर्स में व्यापम के माध्यम से आयोजित पीपीटी स्कोर के आधार पर एडमिशन मिलेगा. सीएसवीटीयू में अभी तक परंपरागत इंजीनियरिंग में डिप्लोमा-डिग्री कोर्स पढ़ाई जा रही है. जिसमें सीएस-आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन, सिविल, मेकेनिकल, माइनिंग, केमिकल, टेक्नोलॉजी सहित अन्य कोर्स शामिल है. 

एडवांस सॉफ्टवेयर की मदद से टारगेट एरिया की मैपिंग होती है

जीआईएस-जीपीएस एक ऐसी तकनीक है. जिससे विभिन्न प्रकार के एडवांस सॉफ्टवेयर की मदद से टारगेट एरिया की मैपिंग होती है. इसका उपयोग अर्थ साइंस, एग्रीकल्चर, डिफेंस, न्यूक्लियर साइंस, आर्किटेक्चर, टाउन प्लानर, मैपिंग, मोबाइल में खूब अधिक होता है. जीआईएस का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां भी अपनी कार्य-प्रणाली के हिसाब से कुछ खास तरह की जीआईएस का उपयोग कर रही है. स्टूडेंट्स जीपीएस-जीआईएस डिप्लोमा इंजीनियरिंग कोर्स के बाद आगे बीटेक-एमटेक और पीएचडी की पढ़ाई कर विशेषज्ञ बन सकते हैं. जिसमें जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, फोटोग्रामैट्री, जीआईएस एप्लीकेशन, जीआईएस डेवलपमेंट, जियोस्टेटिस्टिक, जीआईएस प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, वेब जीआईएस सहित अन्य शामिल हैं.

नए सत्र 2024-25 से मिलेगा दाखिला

शासकीय पॉलीटेक्निक अंबिकापुर के प्राचार्य आरजे पांडेय ने कहा कि चिरमिरी में नए सत्र से जीपीएस एंड जीआईएस और जशपुर-बगीचा में इलेक्ट्रिक व्हीकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स प्रारंभ किए जाएंगे. सीएसवीटीयू से मंजूरी मिल चुकी है. दोनों ही एडवांस कोर्स सरगुजा के हिस्से आए हैं. नए सत्र 2024-25 से दाखिला मिलेगा। नए जमाने के दोनों कोर्स की छत्तीसगढ़ में पहली बार पढ़ाई कराई जाएगी. 

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