Madhya Pradesh Assembly Election 2023: चुनावी समर में 3 दिसंबर का इंतजार सबको है कि कौन नए कुर्ते-पजामे में कुर्सी पर बैठेगा, लेकिन ये खबर खादी धारियों के लिए परेशानी भरी है. दरअसल, एक तरफ राज्य में कुर्सियों का टोटा है. वहीं, दूसरी ओर कुर्ते-पजामे के लिए नेताजी को दर्जी वक्त नहीं दे पा रहे हैं .
यूं तो ये लड़ाई कुर्सी की है, लेकिन त्योहारी मौसम में मध्य प्रदेश में इन दिनों कुर्सी का भारी टोटा है. भोपाल के न्यू मार्केट में मंजीत सिंह सालों से बॉम्बे टेंट हाउस चला रहे हैं. वो बताते हैं कि कुर्सी के लिये मध्य प्रदेश के कारोबारियों की निगाहें गुजरात और महाराष्ट्र पर टिकी हुई हैं. दरअसल, कुर्सी का किराया जेब को चिढ़ा रहे हैं. हालात ये है कि पहले एक दिन के लिए जो प्लास्टिक की कुर्सी 15 रुपए में मिलती थी, वो अब 20 रुपए प्रति नग मिल रही है. वहीं, वीआईपी मेहमान का सोफा सेट- 1500 रुपए से बढ़कर 2000 रुपए तक हो गया है.
कुर्सी की कमी पर बीजेपी नेता ने दिए ये तर्क
कुर्सी के लिए मारामारी के बीच कुर्सी की कमी पर बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि देश की बात करें, तो जनसंख्या बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश बड़ा राज्य माना जाता है. ये लोकतंत्र का महापर्व है. पहले चुनिंदा लोग राजनीति में होते थे. लेकिन, अब हर क्षेत्र में लोगों की संख्या बढ़ रही है. लोगों का राजनीति के प्रति रुझान बढ़ा है. अब बड़ी संख्या में लोग राजनीतिक दलों से जुड़ना चाहते हैं. जब लोगों की संख्या बढ़ेगी और ऊपर से राजनीति का महोत्सव होगा, तो कुर्सियां तो कम पड़ेंगी ही.
कांग्रेस ने बीजेपी पर कसा तंज
टेलर से यहां भी वेटिंग
नेताजी जी को कुर्सी पर बैठने के लिए वोटर से मिलने के लिए नए कुर्ते-पजामे में जाना पड़ता है. लिहाजा, कुर्सी पर बैठने की तैयारी के लिए भी नया कुर्ता पैजामा सिलावाना होगा, लेकिन यहां भी वेटिंग है. दरअसल, इन दिनों खादी ज्यादा डिमांड में है. दर्जी का काम करने वाले अदा फैशन के संचालक सलीम शेख ने बताया कि वैसे अपना सूट शेरवानी का काम है, लेकिन चुनाव का टाइम होने की वजह से नेताओं के बहुत काम आ रहे हैं, जैसे कुर्ता-पैजामा. एक-एक नेता 8-10 जोड़ी कुर्ते-पैजामा सिलवा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस वक्त नेताओं के इतने काम आ रहे हैं कि हमारा मूल काम धीमा पड़ गया है.
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सूट और शेरवानी सिलवाने पर गरमाई है सियासत
यूं तो प्रचार के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता खूब कुर्ता पैजामा सिलवा रहे हैं, लेकिन शपथ में कौन सूट सिलवाएगा, कौन शेरवानी इसपर दोनों दल के बीच बयानों के तीर चला रहे हैं. दरअसल, त्योहारी सीजन के साथ ही चुनावी समर होने की वजह से नेताओं की ओर से शेरवानी और सूट के ऑर्डर बड़े पैमाने पर आने से टेलरों के यहां अभी वेटिंग चल रहा है. इस पर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं के सूट सिलवाने की बात न करें. जब बीजेपी की सरकार बनी थी, तब जो सूट सिलवा कर बैठे हुए थे, उन्हें तो मंत्री बनाया नहीं था. लेकिन, सिंधिया गुट के जो लोग विधायक तक नहीं थे, उन्हें मंत्री बना दिया गया. उन्होंने कहा कि परेशानी में असल में बीजेपी है.
दरअसल, 5 साल में मध्य प्रदेश में कुर्सी 2 बार इधर-उधर हो गई. सूट-शेरवानी 15 महीने में ही अलमारी में चले गए. खैर 5 साल बीत चुके हैं. अब इंतज़ार कुर्सी को भी है और सूट को भी. फिलहाल, मारामारी खादी की है. कुर्सी मिलने पर खादी सूट में बदलेगी. आम नेता खास हो जाएगा और जनता जहां थी, वहीं रह जाएगी.
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