बरसात के दिनों में अगर आप खेतों में जाएंगे तो आपको मिट्टी गीली दिखाई देती है. पांव में कीचड़ लगने का डर भी सताने लगता है. बारिश के दिनों में चाह कर भी आप खेतों को पांव से पार नहीं कर पाते लेकिन शिवपुरी में लगातार दो महीने से बारिश नहीं हुई है. जिस कारण जमीन न केवल शुष्क पड़ गई है बल्कि अब तो जमीन में दरारें तक साफ-साफ दिखाई देने लगी है. ऐसे हालात छोटे और मझोले किसानों के लिए चिंता का सबब बन गई हैं
पानी नहीं बरसने से परेशान किसान
गांव के एक खेत में में काम कर रही इमरती अपना खेत तैयार कर रही थीं. महिला से जब पूछा गया तो वह बोली जब पानी नहीं बरस रहा तो फिर सूखी मिट्टी के दाने कंकड़ पत्थर बीन रही हूं. इसे बीनकर खेत को दोबारा ही तैयार कर लूं, क्या मालूम ईश्वर की कृपा हो जाए और कुछ पानी बरस जाए. दरअसल गांव के इन छोटे किसानों के पास दो-पांच बीघा जमीन है और इन के पास सिंचाई का कोई दूसरा साधन नहीं है. वह सिर्फ आसमानी बारिश पर आश्रित हैं. ऐसे में जब उस पर आसमान से रहम ना बरसे तो उनका परेशान होना लाजमी है.
फसल बर्बाद होने की कगार पर
इमरती भी 7 बीघा खेत की मालकिन हैं और इसीलिए वह भी परेशान हैं. उन्होंने अपने खेत में सोयाबीन, धान और सब्जियां लगाई थीं. उन्होंने सोचा था कि सब्जियां बेच कर पैसे आएंगे तो सोयाबीन बेचकर दीवाली के दिये खरीदूंगी लेकिन खेत बिन पानी सूने हो गए. जमीन में दरारें आ गईं और इमरती का सपना जैसे बिखर ही गया. दुखी मन से इमरती कहती हैं कि भूखों मरने की नौबत आ गई है. ऐसे में सरकार सहायता नहीं करेगी तो हम सब भूखे ही मर जाएंगे.
किसानों को मुख्यमंत्री से आखिरी उम्मीद
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया है कि किसानों को अकेला नहीं छोडूंगा. उनके हाथ पकड़कर जो कुछ बन पड़ेगा करूंगा. सूखे की मार झेल रहा मध्य प्रदेश और खासकर शिवपुरी के किसान सरकार के मुखिया की इस बात से बहुत उम्मीद लगाए बैठे हैं. बस उन्हें डर है तो बस इस बात का कि कहीं उनकी आखिरी उम्मीद भी न टूट जाए.
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