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मध्य प्रदेश में 10 हजार होगी मेडिकल की सीटें, एनडीटीवी कॉन्क्लेव में बोले डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल

Medical Education in MP: मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने मेडिकल की पढ़ाई के मामले में मध्य प्रदेश के पिछड़ने के सवाल पर कहा कि हमारे पास 5 हजार सीटें हैं. इसे अगले कुछ सालों में हम 10 हजार करने जा रहे हैं. इसके लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्रों को लेकर काम किया जा रहा है.

मध्य प्रदेश में 10 हजार होगी मेडिकल की सीटें, एनडीटीवी कॉन्क्लेव में बोले डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल

Rajendra Shukla in MP: एनडीटीवी इमर्जिंग बिजनेस कॉन्क्लेव मंच पर सोमवार को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल (Rajendra Shukla) ने खुल कर सभी सवालों के जवाब दिए. इस मौके पर उन्होंने पार्टी के लाडले होने और बार-बार टिकट मिलने के सवाल पर कहा कि हमारी पार्टी सभी कार्यकर्ताओं के काम पर निकाह रखती है. मैं बस इतना ही करता हूं पार्टी जो भी जिम्मेदारी देती है, उसे अच्छे से पूरा करता हूं, जिसका इनाम पार्टी देती है.

वहीं, प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई के मामले में मध्य प्रदेश के पिछड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारे पास 5 हजार सीटें हैं. इसे अगले कुछ सालों में हम 10 हजार करने जा रहे हैं. इसके लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्रों को लेकर काम किया जा रहा है. इसके अलावा, जब उनसे पूछा गया कि मेडिकल की पढ़ाई काफी महंगी है, ऐसे में गरीबों के बच्चे मेडिकल का कोर्स कैसे कर पाएंगे. इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि इस समस्या को हल करने के लिए राज्य सरकार मेधावी छात्र योजना शुरू की है. इसकी मदद से हम मेधावी छात्रों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाते हैं. इसके साथ ही हम ऐसे छात्रों से अनुबंध करते हैं कि कोर्स पूरा करने के बाद 5 साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देनी होगी. उन्होंने कहा कि जिन मेधावी छात्राओं की पढ़ाई सरकारी सीट पर होती है, उसे दो साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवा देनी होती है, जबकि प्राइवेट सीट पर कोर्स करने वालों को 5 वर्ष तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देनी होती है.

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई के बताए ये लाभ

गरीब बच्चों को हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की सुविधा दी जा रही है. इसका असर भी अब देखने को मिल रहा है. इससे कमजोर वर्ग के बच्चों को काफी लाभ हो रहा है, जो बच्चे भाषा की वजह से फेल हो जाते थे, अब वह भी आसानी से पास होकर डॉक्टर बन पाएंगे. ऐसे बच्चे पढ़कर जब पास होंगे, तो उन्हें उन्हीं के माहौल में ग्रामीण सेवा में लगाया जाएगा. इसके अलावा, टेलीमेडिसिन की सुविधा से भी अच्छी इलाज की सुविधा मिल सकेगी.

गांव में नहीं जाना चाहते हैं डॉक्टर्स

वहीं, प्रदेश की खराब स्वास्थ्य सेवा पर उन्होंने इसे नकारते हुए कहा है प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के लिए जननी सुरक्षा योजना है. इसके तहत हम सभी गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस की सुविधा देते हैं. वहीं, जिला अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पर भी उन्होंने कहा कि जिला अस्पतालों में तो डॉक्टरों की कमी नहीं है. हां ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर ऐसी स्थिति जरूर है. उन्होंने कहा कि दरअसल, मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद ऐसी मानसिकता बन जाती है कि हम बड़े लोग हैं. वे आरामदायक जीवन जीने के आदि हो जाते हैं. इसलिए कोई डॉक्टर गांवों में सेवा देने को तैयार नहीं होता है और जिसकी ड्यूटी लगाई भी जाती है, तो वह जाना नहीं चाहते हैं. इस वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है. उन्होंने कहा कि इसी समस्या के हल के लिए मेडिकल की पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों से सरकार अनुबंध करती है कि उन्हें 2-5 साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देनी होगी.  

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वहीं, निर्विवाद छवि पर पूछे गए सवाल के जवाब पर उन्होंने कहा कि मैं अपने काम पर फोकस करता हूं. किसने क्या कहा और उसे क्या जवाब देना है, इसके बारे में मैं कभी नहीं सोचता हूं और न ही ऐसा करता हूं. एक कान से सुनता हूं और दूसरे निकाल देता हूं, इसी लिए विवादों में नहीं आता हूं. 

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