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This Article is From Feb 18, 2024

Measles Rubella: मैहर में चेचक से दो बच्चों की मौत और करीब डेढ़ दर्जन बच्चे प्रभावित, बड़ी लापरवाही आई सामने

Measles Rubella Virus: मीजल्स के मामले में पिछले दिनों दिए गए प्रशिक्षण में यह स्पष्ट किया गया था कि अगर ब्लॉक में मीजल्स रूबेला के प्रभावित बच्चों का आंकड़ा पांच के पार पहुंचता है, तो इसे 'आउट ब्रेक' स्थिति मानते हुए तुरंत कांटेक्ट ट्रेसिंग की जाए. मगर मैहर ब्लॉक में ऐसा संभवत: नहीं किया गया.

Measles Rubella: मैहर में चेचक से दो बच्चों की मौत और करीब डेढ़ दर्जन बच्चे प्रभावित, बड़ी लापरवाही आई सामने

Madhya Pradesgh News Today: मैहर जिले में चेचक के चलते दो बच्चों की मौत और करीब डेढ़ दर्जन बच्चों के प्रभावित होने का आंकड़ा सामने आने के बाद प्रशासनिक अमले में अफरा तफरी मची हुई है. दरअसल, जहां ये मामले सामने आए हैं. वह ब्लॉक चेचक के मामले में हाई अलर्ट था. इसके बावजूद सर्विलांस टीम  सक्रिय नहीं हुई. मीजल्स के मामले में पिछले दिनों दिए गए प्रशिक्षण में यह स्पष्ट किया गया था कि अगर ब्लॉक में मीजल्स रूबेला (Measles Rubella) के प्रभावित बच्चों का आंकड़ा पांच के पार पहुंचता है, तो इसे 'आउट ब्रेक' स्थिति मानते हुए तुरंत कांटेक्ट ट्रेसिंग की जाए. मगर मैहर ब्लॉक (Maihar Blaock) में ऐसा संभवत: नहीं किया गया. यही कारण है कि आठ गांवों में करीब डेढ़ दर्जन बच्चे मीजल्स रूबेला की चपेट में आ गए. इसके बाद ही टीम सक्रिय हुई.

स्वास्थ्य विभाग के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि जैसे ही गांव में कोई एक चेचक के प्रभाव में आता है, तो तुरंत आशा, एएनएम और बीएमओ को इस मामले में सक्रिय होना चाहिए था. वहीं, हालात इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि जब मामला बिगड़ गया, तब जाकर अधिकारियों की नींद खुली. अब देखना होगा कि इस सर्विलांस फॉलोअर पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी किस प्रकार का एक्शन लेते हैं.

इसलिए बिगड़े हालात

वैक्सीन प्रीवेंटिव डिजीज के मामले में जांच दो चरणों में की जाती है. बीमारी का पता चलने के सात दिन के अंदर प्रभावित लोगों के ब्लड तथा थ्रोट की जांच का जाती है. 28 दिन के अंदर बीमारी पता चलने के बाद केवल ब्लड सैंपल लेकर उसके सीरम की जांच कराई जाती है. मैहर ब्लॉक में सामने आई बीमारी के मामले में न तो पहले चरण का और न ही दूसरे चरण का सर्वे हुआ है, जिससे स्थिति इतनी क्रिटिकल हुई.

कोरोना जैसा होना चाहिए आइसोलेशन

शरीर में चेचक वाले दाने दिखाई देने पर क्षेत्रीय आशा को इस मामले से अपने वरिष्ठ अधिकारी एएनएम को अवगत कराना चाहिए और इसके बाद एएनएम को बीएमओ को अवगत कराना था. वही, मैहर जिले में स्कूल के हेड मास्टर की ओर से जानकारी दिया जाना, इस बात को प्रमाणित करता है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम इस मामले को लेकर अलर्ट नहीं थी. एक्सपर्ट की मानें, तो अगर बीमारी पता चलने के बाद तुरंत कांटेक्ट ट्रेसिंग और कोरोना जैसा आइसोलेशन सिस्टम अपनाया गया होता, तो इतनी दुर्दशा नहीं होती.

गांव पहुंच सकती है डब्ल्यूएचओ की टीम

मैहर में मीजल्स रूबेला का प्रकरण अब स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ा सर दर्द बन चुका है. जैसे ही इस प्रकरण के संबंध में जानकारी विभाग ने अपने रिकॉर्ड में दर्ज की  तो मैहर और सतना से लेकर दिल्ली तक हडकंप मच गया. बताया जाता है कि इस मामले में डब्ल्यूएचओ की टीम कभी भी मैहर पहुंच सकती है. हालांकि, अभी स्वास्थ्य विभाग इस मामले को लेकर कोई भी पुष्टि करने से बच रहा है.

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अब गांव में कई टीमें पहुंचीं

हालात बिगड़ने के बाद मैहर ब्लॉक के घुनवारा, मतवारा, यादवपुरा, बुढ़ागर सहित अन्य गांव में टीमों ने डेरा डाल दिया है. एक तरफ महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम सक्रिय है. वहीं, दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की टीम और राजस्व विभाग के अधिकारी गांव में पहुंचकर स्थितियों को सामान्य बनाने में जुटे हुए हैं. मीजल्स रूबेला से प्रभावित गांवों में जिला कलेक्टर ने स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है और बच्चों को एकत्र होने से रोकने के लिए आदेश जारी किए गए हैं. यही नहीं, अब विभाग की ओर से कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग की कोशिश भी की जा रही है. हालांकि, इस स्थिति का पता लगाना अब बेहद मुश्किल होता दिखाई दे रहा है.

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