गुमशुदा शख्स, मंत्री पर आरोप ! NDTV के खुलासे के बाद SC ने कहा- SIT बनाओ, आपसे न होगा

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सागर के मानसिंह पटेल नाम के शख्स की रहस्यमय गुमशुदगी की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है. यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब NDTV के साथ एक खास इंटरव्यू में मानसिंह के बेटे सीताराम पटेल ने गंभीर आरोप लगाए. सीताराम ने तब मध्य प्रदेश के राजस्व और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर अपने पिता की गुमशुदगी और उनकी पुश्तैनी जमीन को अवैध तरीके से कब्जाने का आरोप लगाया था.

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Madhya Pradesh Police: पहले एक छोटी सी कहानी- एक राज्य है..उसका एक मंत्री है. उसी राज्य में एक आम आदमी है जिसके पास कुछ एकड़ जमीन है और उस जमीन पर कथित तौर पर एक मंत्री और उसके साथियों की नजर है. इसी के बाद उस आम आदमी की मुसीबत शुरू होती है. अचानक वो गायब हो जाता है या फिर कर दिया जाता है. सालों तक पुलिस जांच होती है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता. फिर कहानी में एंट्री होती है सुप्रीम कोर्ट की...अदालत के एक्शन से इंसाफ की आस जगती है...  ये किसी थ्रिलर फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं बल्कि मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh News) की सच्ची कहानी है जिसे अभी अंजाम तक पहुंचना है. जानिए इसी कहानी पर हमारे स्थानीय संपादक अनुराग द्वारी की रिपोर्ट.

दरअसल बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सागर के मानसिंह पटेल (Mansingh Patel )नाम के शख्स की रहस्यमय गुमशुदगी की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है. ये मानसिंह वही शख्स हैं जिनका जिक्र हमने शुरू में किया था. यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब NDTV के साथ एक खास इंटरव्यू में मानसिंह के बेटे सीताराम पटेल (Sitaram Patel) ने गंभीर आरोप लगाए. सीताराम ने तब मध्य प्रदेश के राजस्व और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput) पर अपने पिता की गुमशुदगी और उनकी पुश्तैनी जमीन को अवैध तरीके से कब्जाने का आरोप लगाया था. आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं सुप्रीम कोर्ट ने कहा क्या है?

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आइए कहानी के सिरे को शुरू से पकड़ते हैं. पिछले साल जनवरी में, NDTV को दिए एक खास इंटरव्यू में, सीताराम पटेल ने दावा किया कि उनके पिता, मान सिंह पटेल, अगस्त 2016 में उस समय लापता हो गए जब उन्होंने मंत्री राजपूत के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. यह शिकायत सागर जिले में उनकी पुश्तैनी जमीन पर मंत्री और उनके साथियों द्वारा किए गए अवैध कब्जे और निर्माण से संबंधित थी.सीताराम ने आगे आरोप लगाया कि उनके पिता की गुमशुदगी संभवतः उन्हें चुप कराने और उस मूल्यवान संपत्ति पर कब्जा करने के लिए की गई साजिश का परिणाम थी. स्थानीय प्रशासन और सीएम हेल्पलाइन को कई बार शिकायत करने के बावजूद, मानसिंह पटेल का पता लगाने के लिए कोई ठोस पुलिस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे परिवार निराश हो गया. 

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एनडीटीवी की खबर के बाद OBC महासभा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गया, एक रिट याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों की गंभीरता और इसमें शामिल राजनीतिक प्रभाव वाले व्यक्तियों की भूमिका को देखते हुए इस मामले को संज्ञान में लिया. याचिकाकर्ताओं ने "हैबियस कॉर्पस" का आदेश मांगा, जिसमें मान सिंह पटेल को अदालत के सामने प्रस्तुत करने की मांग की गई.

याचिका में ये आरोप लगाया गया कि उन्हें अवैध रूप से रखा गया है और मंत्री राजपूत समेत अन्य लोगों ने उनके खिलाफ साजिश रची है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही जांच में प्रगति की कमी पर चिंता व्यक्त की और सागर जिले के पुलिस अधीक्षक को मामले में क्रमवार घटनाओं का विवरण प्रस्तुत करने के लिए एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया .कोर्ट ने नोट किया कि आरोपों की गंभीर प्रकृति के बावजूद, स्थानीय पुलिस स्वतंत्र, निष्पक्ष और गहन जांच करने में विफल रही है, और प्रारंभिक SIT की संरचना की आलोचना की, जिसे अपर्याप्त माना गया था. न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने तो केवल लापता व्यक्ति के गायब होने के आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है और वो भी नहीं हो पाया. 

एक महत्वपूर्ण कदम में, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को राज्य के बाहर से वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों की एक नई SIT गठित करने का निर्देश दिया. SIT को मनसिंह पटेल की गुमशुदगी की पुनः जांच करने का आदेश दिया गया, जिसमें ये निर्देश शामिल हैं.  

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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि आरोपों की गंभीर प्रकृति के बावजूद, स्थानीय पुलिस स्वतंत्र, निष्पक्ष और गहन जांच करने में विफल रही है, और प्रारंभिक SIT की संरचना की आलोचना की, जिसे अपर्याप्त माना गया था. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने पटेल परिवार के लिए एक नई आशा की किरण ला दी है, जो पिछले सात वर्षों से न्याय की मांग कर रहा है. सीताराम पटेल के आरोप एक सत्तारूढ़ मंत्री के खिलाफ हैं, जो दिखाते हैं कि साधारण नागरिकों को शक्तिशाली व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराने में कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.