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महात्मा गांधी की पुण्यतिथि: बापू का जबलपुर से रहा है गहरा रिश्ता, नर्मदा नदी में प्रवाहित की गई थी अस्थियां

Shaheed Diwas: गांधी जी की इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को नर्मदा (Narmada River) में प्रवाहित किया जाए. जिसके चलते उनकी अस्थियों को जबलपुर लाया गया. अपने जीवन काल में महात्मा गांधी ने जबलपुर की चार यात्राएं की.

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महात्मा गांधी की पुण्यतिथि: बापू का जबलपुर से रहा है गहरा रिश्ता, नर्मदा नदी में प्रवाहित की गई थी अस्थियां
फाइल फोटो

Death Anniversary Mahatma Gandhi: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi Death Anniversary) की पुण्यतिथि आज देशभर में मनाई जा रही है. इसी दिन सन् 1950 में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की हत्या की गई थी. उनके बलिदान की याद में हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस (Martyrs Day) मनाया जाता है. राष्ट्रपिता (Father of Nation) महात्मा गांधी का मध्य प्रदेश से भी गहरा नाता रहा है. गांधी जी की मृत्यु के बाद उनकी अस्थियों को जबलपुर (Jabalpur) में विसर्जित किया गया था. गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी कई बार मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का दौरा किया और यहां के नेताओं से मिले.

हजारों की संख्या में उमड़े थे लोग

बता दें कि गांधी जी की इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को नर्मदा (Narmada River) में प्रवाहित किया जाए. जिसके चलते उनकी अस्थियों को जबलपुर लाया गया था. अपने जीवन काल में महात्मा गांधी ने जबलपुर की चार यात्राएं की. वह जबलपुर के व्यौहार राजेंद्र सिंह के निवास पर आकर रुके. गांधी जी की अस्थियां नर्मदा नदी के तिलवारा घाट में विसर्जित की गई थी. उस समय जब बापू की अस्थियों को जबलपुर लाया गया तो, दूर-दराज से हजारों लोग अस्थियों को स्पर्श करने और उनके अंतिम दर्शन के लिए बैलगाड़ियों में सवार होकर पहुंचे थे. लोग महात्मा गांधी की अस्थियों पर श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते थे.

Mahatma Gandhi

अपनी जबलपुर यात्रा के दौरान गांधी जी नर्मदा नदी के तट पर घूमने गए थे.

इनमें हजारों लोग ऐसे थे जिन्होंने महात्मा गांधी को कभी नहीं देखा था. उन लोगों ने सिर्फ गांधी जी की त्याग और तपस्या की कहानियां सुनी थी. जब इन लोगों को पता चला कि गांधी जी की अस्थियों को नर्मदा नदी में विसर्जित करने के लिए लाया जा रहा है, तब नर्मदा नदी के तट पर विशाल जन समूह उमड़ पड़ा. हर कोई महात्मा गांधी के अस्थि कलश को स्पर्श करना चाह रहा था. पुलिस प्रशासन को इस भीड़ को संभालने में अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ी थी.

गांधी जी की यादों को लोगों ने संजोकर रखा

अपने पूरे जीवनकाल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चार बार जबलपुर आगमन हुआ. उनसे जुड़ी तमाम स्मृतियां शहर में अब तक संभालकर रखी हुई हैं. जबलपुर शहर में अब भी वह स्थान मौजूद हैं, जहां बापू आए और ठहरे थे. लोगों ने अभी भी महात्मा गांधी की जुड़ी यादों को संजोकर रखा है. जबलपुर यात्रा के दौरान गांधी जी ने विश्व प्रसिद्ध भेड़ाघाट का भी भ्रमण किया. बताया जाता है कि भेड़ाघाट की संगमरमर की चट्टानों को देखकर गांधी जी बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने नाव में घूमकर इन चट्टानों को और भेड़ाघाट के धुआंधार जलप्रपात को देखा था.

गांधी जी ने की जबलपुर की 4 यात्राएं

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पहली बार संस्कारधानी आगमन 20 मार्च 1921 को हुआ. जब वे खजांची चौक स्थित श्याम भार्गव के घर पर रुके. यह यात्रा असहयोग आंदोलन के विस्तार और स्वराज कोष में धनराशि को एकत्रित करने के लिए हुई. इस दौरान उन्होंने गोल बाजार में सभा भी की. वर्ष 1933 के नवंबर महीने में गांधी जी ने नागपुर से हरिजनोद्धार यात्रा आरंभ की. इस दौरान वे सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, नरसिंहपुर होते हुए तीन दिसंबर को जबलपुर पहुंचे. यह उनका दूसरा जबलपुर दौरा था. यात्रा के दौरान गांधी जी बीमार भी हुए, लेकिन उन्होंने अपने सभी कार्यक्रम यथावत रखे. वे सात दिसंबर तक जबलपुर में रुके. उस समय जबलपुर राष्ट्रीय आंदोलन में देश का केंद्र बिंदु बन गया था. 

गांधी जी तीसरी बार जब जबलपुर आए, तब वे व्यौहार राजेंद्र सिंन्हा के साठिया कुआं स्थित आवास में ठहरे. इसके बाद शहर की हीरजी गोविंदजी फर्म में 27 फरवरी, 1941 को गांधी जी ठहरे, यह उनका अल्प प्रवास था. इस समय वे कमला नेहरू अस्पताल इलाहाबाद का उद्घाटन करने जा थे. चौथी और अंतिम बार गांधी जी मदन महल स्थित पंडित द्वारका प्रसाद मिश्रा निवास पर 27 अप्रैल 1942 में आए.

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