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Mahalaxmi Mandir: दिवाली पर दुल्हन सा सजा खंडवा का महालक्ष्मी मंदिर, यहां पूजा करने से घर में बरसता है धन

Mahalaxmi Mandir Khandwa: मध्य प्रदेश के खंडवा स्थित महालक्ष्मी मंदिर दिवाली पर दुल्हन की तरह सजाया गया है. यहां छह दिन तक चलने वाले दीपोत्सव में मां लक्ष्मी और कुबेर की विशेष पूजा होती है. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां की पूजा से घर में धन और समृद्धि बरसती है.

Mahalaxmi Mandir: दिवाली पर दुल्हन सा सजा खंडवा का महालक्ष्मी मंदिर, यहां पूजा करने से घर में बरसता है धन

Mahalaxmi Mandir Khandwa Diwali 2025: पूरे देश में इस वक्त दीपावली 2025 मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं. घर-घर की हर मुंडेर ही नहीं, बल्कि देवालय भी दुल्हन की तरह सज गए हैं. खास तौर पर धन-कुबेर की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी के मंदिरों में विशेष साज-सज्जा की जा रही है. NDTV की टीम ने मध्य प्रदेश के खंडवा स्थित महालक्ष्मी मंदिर में दीपोत्सव पर होने वाली विशेष पूजा-अर्चना और मंदिर के महत्व को जानने की कोशिश की. देखिए यह ग्राउंड रिपोर्ट.

हिंदू धर्म में लक्ष्मी पूजा का महत्व अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है. यह पूजा मुख्य रूप से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए की जाती है. मान्यता है कि जो व्यक्ति दिवाली पर सच्चे मन से विधि-विधान से पूजा करता है, उसके घर में सुख-शांति, समृद्धि और धन का स्थायी वास होता है. खंडवा में भी जब से मां लक्ष्मी का यह मंदिर बना है, तब से शहर की किस्मत बदलने लगी है. 

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मां लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है. उनकी पूजा से जीवन से दरिद्रता दूर होती है और आर्थिक उन्नति होती है. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत से भी जोड़ा जाता है. भगवान गणेश के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में बुद्धि, विवेक और शांति बनी रहती है. पांच दिवसीय दीपोत्सव में धनतेरस और लक्ष्मी पूजा के अलावा अन्नकूट महोत्सव भी मनाया जाता है. उस दिन माता रानी को छप्पन भोग लगाए जाते हैं, और भोग के बाद भक्तों में प्रसाद स्वरूप वितरण किया जाता है.

खंडवा महालक्ष्मी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी संजय शुक्ला बताते हैं कि यहां दिवाली का उत्सव पूरे छह दिन तक मनाया जाता है. हर दिन अलग-अलग आयोजन होते हैं. एक दिन अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है ताकि सभी के घरों में अन्न का भंडार भरा रहे. इस दिन मां लक्ष्मी को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों और स्थानिक पकवानों का भोग लगाया जाता है. माता को भोग लगाने के बाद एक भंडारे का आयोजन होता है, जिसमें वही व्यंजन प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किए जाते हैं. रात के समय कौशांबा पूजन किया जाता है. 

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पंडित आचार्य बसंत मोहदय के अनुसार, जब से खंडवा में महालक्ष्मी मंदिर की स्थापना हुई है, तब से शहर की तरक्की के द्वार खुल गए हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है. इस दिन धनकुबेर की भी पूजा की जाती है. यहां मां लक्ष्मी के साथ धनकुबेर की संयुक्त पूजा का विशेष महत्व है. खंडवा में मां भगवती की प्रतिमा इस तरह की है कि वह अपने कलश से धन की वर्षा करती हुई प्रतीत होती हैं.

पंडित आचार्य बसंत मोहदय कहते हैं कि दीपावली पर दीप जलाकर की गई पूजा जीवन से नकारात्मकता और अंधकार को दूर करती है. व्यापारी इस दिन नए बहीखातों की पूजा करते हैं और व्यापार में वृद्धि की कामना करते हैं. कहा जाता है कि समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था और दीपावली की रात भगवान विष्णु ने उन्हें अंधकार में खोजा था. इसलिए इस दिन दीपक जलाकर पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं. 

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