Mahakal Lok Ujjain: महाकाल महालोक बनने के बाद उज्जैन में बने ये रिकॉर्ड, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

Shri Mahakal Mahalok: श्रावण मास 22 जुलाई 2024 से 19 अगस्त 2024 में 1 करोड़ से अधिक श्रद्धलुओं ने उज्जैन आकर भगवान श्री महाकाल के देव दर्शन कर श्री महाकाल महालोक को निहारा व सवारियों में सम्मिलित हुए. उज्जयिनी में दिन-प्रतिदिन श्रद्धलुओं की संख्या में वृध्दि होने से उज्जैन, मालवा क्षेत्र का प्रमुख पर्यटन, आर्थिक, सामाजिक केन्द्र बनकर उभरा है. व्यापार के क्षेत्र में बढ़ोतरी होने से नागरिकों को बहुआयामी रोजगार प्राप्त हुए हैं.

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Shri Mahakal Mahalok Ujjain: उज्जयिनी (Ujjain) एक महान धार्मिक सांस्कृतिक, साहित्यिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक सिध्द नगरी है. पृथ्वी के नाभिस्थल पर स्थित होने से कुण्डलिनी शक्ति-जागरण के सुविज्ञ योगियों एवं आध्यात्मविदों के लिए यह सफलदायी महत्ती सिध्द भूमि है. यहां पर प्रत्येक 12वें वर्ष में सिंह राशि में गुरू के स्थित होने पर कुम्भ महापर्व (Kumbh Maha Parv) का आयोजन लंबे समय से होता आ रहा है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) सिंहस्थ को लेकर उज्जैन के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. उज्जयिनी नगरी का विश्व प्रसिध्द बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक दक्षिणमुखी श्री भगवान महाकालेश्वर का मंदिर उज्जैन (Shri Mahakaleshwar Temple Ujjain) की जीवन शैली का केन्द्र बिन्दु है. अवंतिकानाथ भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्री महाकाल महालोक बनने के बाद से देश-विदेश से श्रद्धलुओं का रिकॉर्ड संख्या में आगमन हो रहा है और लगातार श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है.

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डमरू वादन का बना रिकॉर्ड

भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण-भादौ मास की सवारियों व राजसी सवारी ने सम्पूर्ण भारतवर्ष का ध्यान आकर्षित किया. भगवान श्री महाकालेश्वर का राजसी वैभव व ठाट-बाट देखने देश-विदेश से 1 करोड़ से अधिक श्रध्दालु सिर्फ श्रावण के एक माह में पधारें. मुख्यमंत्री डॉ.यादव के निर्देशानुसार इस वर्ष सवारी में आकर्षण का केन्द्र देश की विभिन्न जनजातिय दलों के कलाकारों द्वारा लोक नृत्यों की आकर्षक प्रस्तुतियां, पुलिस बैंड द्वारा मधुर धुन की सवारी मार्ग में प्रस्तुति, डमरू वादन का विश्व रिकॉर्ड व राजसी सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर की पालकी रामघाट पहुंचने पर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा रही.

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सम्राट विक्रमादित्य के समय का गौरव अवंतिका नगरी पुन: प्राप्त करें इसके लिए सम्पूर्ण भारतवर्ष के साधु-संत-महंत, विद्वानों, चिन्तकों, विचारकों, साहित्यकारों, अनुसंधानकर्ताओं का केन्द्र उज्जैन विभिन्न आयोजनों, सेमीनार, संगोष्ठी, महोत्सवों से सम्पूर्ण वर्ष रहा.

क्षिप्रा नदी के पावन तट रामघाट पर चैत्र नवरात्रि गुडी पड़वा के अवसर पर "शिवज्योति अर्पणम" भव्य कार्यक्रम आयोजित कर दीप दान किया गया. विक्रमोत्सव व अखिल भारतीय कालिदास महोत्सव के अंतर्गत विविध सांस्कृतिक, साहित्यिक, धार्मिक व विज्ञान के कार्यक्रम आयोजित किए गए. इन कार्यक्रमों में देश-विदेश की महान विभूतियां पधारी और उज्जैन निरंतर वर्ष भर साहित्यकारों, विचारकों, चिंतकों और वैज्ञानिकों का केन्द्र बना रहा.

आध्यात्मिक नगरी - अवंतिका सिहंस्थ मेला क्षेत्र नगर विकास योजना

  • सिंहस्थ-2028 की तैयार प्रारंभ, टास्क फोर्स का गठन हुआ.
  • संकल्प पत्र 2023 उज्जैन को ग्लोबल स्पिरिचुअल सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा.
  • सिंहस्थ 2028 में सम्पूर्ण मेला क्षेत्र का उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से नगर विकास योजना. (लेण्ड पूलिंग योजना) अन्तर्गत स्थाई अधोसंरचना का निर्माण किया जावेगा.
  • सिंहस्थ मेले के दौरान आने वाले अखाड़ों/आश्रमों/श्रद्धालुओं की स्थाई संरचना के माध्यम से आवश्यकताओं की पूर्ति की जायेगी.
  • साधु-संतो के लिये हरिद्वार की तरह उज्जैन में स्थायी धार्मिक नगरी एवं आश्रम बनाए जाएंगे.
  • मां-क्षिप्रा शुद्धिकरण का संकल्प पूरा करने के लिये 599 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाली कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना का काम शुरू हुआ. सिंहस्थ में श्रद्धालु क्षिप्रा के जल से ही स्नान करेंगे.
  • उज्जैन में दर्शन के लिये आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये बड़े पैमाने पर क्षिप्रा नदी के दोनों ओर घाट निर्माण, शहर के चारों ओर सड़क परियोजनाओं में काम शुरू किया गया है.

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