मध्यप्रदेश में चुनाव सिर पर हैं लिहाजा घोषणाओं का ऐलान चरम पर है चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष. ताजा मामला तो मध्यप्रदेश सरकार का ही है. राज्य की शिवराज सरकार ने पहले तो सावन में 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने की बात कही थी लेकिन अब नया ऐलान सामने आया है. जिसके मुताबिक अब पूरे साल में लाडली बहनों को 450 रुपये में गैस सिलेंडर मिलेगा. इसके एवज में गैस कंपनियों को सब्सिडी के पैसे सरकार की ओर दिया जाएगा. घोषणा तो हो गई लेकिन हितग्राहियों की शिकायत है कि सावन बीत जाने के बावजूद उन्हें इसका लाभ नहीं मिला. दूसरी तरफ गैस एजेंसी के कर्मचारी भी असमंजस में हैं. एक हकीकत ये भी है कि राज्य में कई बहनें तो ऐसी हैं जिन्हें अभी तक उज्जवला का लाभ ही नहीं मिला. आगे बढ़ने से पहले मध्यप्रदेश में सस्ते गैस सिलेंडर का पूरा गणित समझ लेते हैं.
ग्वालियर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि मैंने लाड़ली बहनों से 27 अगस्त को कहा था कि सावन के महीने में रसोई गैस सिलेंडर ₹450 में दूंगा. अब हम अब हम एक योजना लेकर आ रहे हैं, जिसमें गरीब बहनों को ₹450 में ही रसोई गैस सिलेंडर मिलेगा,बाकी पैसा सरकार भरवाएगी.बता दें कि इससे पहले कांग्रेस ने कहा था कि वो मध्यप्रदेश में सत्ता में आने के बाद लोगों को 500 रुपये में गैस सिलेंडर देगी. इसके जवाब में बीजेपी ने 450 रु में सिलिंडर देने का ऐलान कर दिया . लेकिन जब NDTV ने गैस कंपनियों से बात की तो वहां सिवाय कन्फ्यूजन के कुछ भी नहीं मिला. मसलन-
वैसे सस्ती गैस मिलना एक दिक्कत तो है ही लेकिन बड़वानी के पलसूद में खालसानगर में दया कौर जैसे कई परिवार हैं जिन्हें अभी तक उज्जवला का लाभ तक नहीं मिला. दया कौर अपने घर में 20 लोगों का खाना चूल्हे पर बनाती हैं, वो कहती हैं उन्हें उज्जवला योजना का लाभ नहीं मिला. कोई कार्ड भी नहीं बना है.बारिश के दिन हैं तो लकड़ियां भी गीली रह जाती है. दूसरी तरफ इसी इलाके के सीताराम अपना टूटा मकान दिखाते हुए कहते हैं कि हमें उज्जवला में गैस सिलेंडर नहीं मिला. लकड़ी पन्नी चुन कर लाते हैं. उसी से 4 पोते-पोती का खाना बनता है.
वैसे देशभर के आंकड़ों की बात करें तो सरकार की उज्जवला स्कीम में कुछ तो झोल जरूर नजर आता है.
कुल मिलाकर ऐलान की फाइल तो मंत्रालय से निकल चुकी है लेकिन हितग्राहियों के घरों तक पहुंचने में वक्त लग रहा है. बगैर गैस के चूल्हा तो नहीं लेकिन ग्राहकों का गुस्सा जरूर सुलग रहा है.
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