Reservation in Promotion: मध्य प्रदेश में प्रमोशन पर आरक्षण के मामले में प्रदेश सरकार ने जबलपुर स्थित हाईकोर्ट में स्पष्टीकरण दिया है. कोर्ट में सुनाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि मध्य प्रदेश की नई प्रमोशन पॉलिसी (MP New Promotion Policy) साल 2016 के पहले हुए प्रमोशन पर लागू नहीं होगी, यानी साल 2016 तक के प्रमोशन पर सिर्फ पुरानी पॉलिसी (Madhya Pradesh Old Promotion Policy) लागू रहेगी. सरकार ने स्पष्ट किया है कि नई पदोन्नति नीति वर्ष 2016 के बाद के प्रमोशन के लिए ही लाई गई है.
वहीं, प्रदेश सरकार ने कोर्ट से डीपीसी (DPC) और प्रमोशन प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मांगी थी. इस दौरान हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने सरकार को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. प्रदेश में DPC और प्रमोशन देने की राज्य सरकार की मांग ठुकरा दी है. इसके साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला आने तक प्रमोशन प्रक्रिया पर रोक बनी रहेगी.
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि सरकार चाहे तो सीलबंद लिफाफे में क्वांटिफायबल डेटा दे सकती है. प्रमोशन में आरक्षण मामले में कोर्ट ने अपनी अंतिम सुनवाई शुरू कर दी है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब अंतरिम आदेश की बजाय अंतिम फैसला सुनाया जाएगा. अब मामले की सुनवाई 28 और 29 अक्टूबर तय की है.
पुरानी पॉलिसी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन
बता दें कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार स्पष्टीकरण मांगा था. तब कोर्ट ने पूछा था कि जब पुरानी पदोन्नति नीति सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो फिर, नई नीति क्यों लागू की जा रही है. कोर्ट पूछा था कि पहले रद्द हुए प्रमोशन पर नई पॉलिसी कैसे काम करेगी?
हाईकोर्ट ने 2016 रद्द कर दी थी पुरानी नीति
मध्य प्रदेश सरकार की प्रमोशन पॉलिसी को जबलपुर हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 में असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी, जहां सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे. 9 साल तक जब प्रमोशन में आरक्षण नहीं मिला तो राज्य सरकार इसी साल नई प्रमोशन पॉलिसी ले आई थी. फिर इस नीति के खिलाफ सपॉक्स सहित कई याचिकाकर्ता हाईकोर्ट पहुंच गए थे.
याचिका में कहा गया था कि सरकार की पुरानी प्रमोशन नीति सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो सरकार नई नीति कैसे ला सकती है. तभी से नई पॉलिसी लागू नहीं हुई है और 9 साल से कोई प्रमोशन भी नहीं हुआ है.
इस वजह से लगी थी प्रमोशन पर रोक
वर्ष 2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान कर दिया था. ऐसे में आरक्षण वर्ग के कर्मचारियों को प्रमोशन मिलता गया और अनारक्षित वर्ग पिछड़ गया. फिर अनारक्षित वर्ग कोर्ट पहुंचा और तर्क दिया कि प्रमोशन में आरक्षण का फायदा सिर्फ एक बार मिलना चाहिए. उन्होंने कोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने की मांग की.
इन तर्कों के आधार पर हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मध्य प्रदेश लोक सेवा (प्रमोशन) नियम 2002 खारिज कर दिया. फिर सरकार ने इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया. तभी से प्रमोशन पर रोक है.
क्या है नई प्रमोशन नीति
खाली पदों को तीन हिस्सों में बांटा जाएगा. इसमें एक हिस्सा अनुसूचित जाति (SC) का 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (ST) का 20 प्रतिशत होगा. तीसरा हिस्सा अनारक्षति वर्ग का होगा. पहले एससी-एसटी के खाली पद भरे जाएंगे. फिर बाकी पदों के लिए सभी दावेदारों को मौका मिलेगा.