सना खान हत्याकांड में पुलिस के हाथ अब तक खाली, एक महीने बाद भी नहीं मिली लाश

सना खान मर्डर केस में नागपुर पुलिस के सामने कई मुश्किलें आ रही हैं. वह जबलपुर पुलिस पर सहयोग न करने के आरोप लगा चुकी है. आरोपी अमित साहू के हनीट्रैप और सेक्सटॉर्शन गैंग से जुड़ा कोई वीडियो अब तक बरामद नहीं हो पाया है.

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बीजेपी नेता सना खान मर्डर केस में पुलिस के हाथ अब तक खाली

नागपुर की बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे की पदाधिकारी सना खान हत्याकांड में पूरा महीना बीत चुका है लेकिन अब तक सना की लाश पुलिस के हाथ नहीं लग सकी है. मामले में पुलिस ने अब तक 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. वहीं सना की लाश का पता बताने वाले को 1 लाख रुपए इनाम देने का भी का ऐलान हुआ फिर भी सफलता नहीं मिल सकी है.  पुलिस ने अदालत में आरोपी अमित साहू के नार्को टेस्ट की मांग की लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया. ऐसे में सना की लाश के ना मिलने पर इस केस का क्या होगा? यह सवाल सबके मन में उठ रहा है.

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'लाश न मिले तो भी चलता है मुकदमा'

जबलपुर के सीनियर क्रिमिनल लॉयर मनीष दत्त ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि ऐसा नहीं है कि लाश नहीं मिली तो अदालत में हत्या का केस नहीं चल सकता. मामले में अभी इन्वेस्टिगेशन जारी है लेकिन आरोप पत्र अभी तक दाखिल नहीं हुआ है. फिर भी मीडिया में चल रही खबरों को देखकर यह कहा जा सकता है कि पूरा केस इस बात पर निर्भर करेगा कि पुलिस इस अपराध के परिस्थितिजन्य साक्ष्य कैसे जुटाती है और उनको अदालत में किस तरह से पेश करती है. मनीष दत्त का कहना है कि अदालतों में पहले भी ऐसे केस आए हैं, जिनमें लाश बरामद नहीं हो पाई थी और कई केस में आरोपी को सजा भी हुई और कई मामलों में आरोपी बरी भी हुए हैं.

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पुलिस अब सबूतों पर निर्भर

वहीं रिटायर्ड एडिशनल एसपी डीएल तिवारी का कहना है कि सना खान हत्या मामले में अगर सबूत पुख्ता हुए तो आरोपी को सजा होगी.  सिर्फ लाश और हत्या में इस्तेमाल हथियार ना मिलना इस बात का प्रमाण नहीं हो सकता की हत्या नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि कई बार आरोपी द्वारा अदालत में यह साबित करने की कोशिश की जाती है कि लाश नहीं मिली तो हो सकता है की हत्या हुई ही ना हो लेकिन परिस्थितजन्य साक्ष्य अपराधी को सजा दिला सकते हैं. उनका कहना है कि ऐसे मामलों में पुलिस परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर डिपेंड रहती है. लाश अगर बरामद नहीं हो पा रही है तो हत्या में इस्तेमाल हथियार, मृतक का खून, खून के धब्बों की एफएसएल रिपोर्ट, कोई चश्मदीद गवाह के साथ-साथ डीएनए रिपोर्ट वगैरह भी अहम और पुख्ता साक्ष्य बनते हैं. अब देखने वाली बात यह होती है कि पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन में तय मानकों का पालन किया कि नहीं. उनका कहना है कि पुलिस साक्ष्य तो कई इकट्ठे करती है, लेकिन उन्हें अदालत में किस रूप में पेश करती है, यह देखने वाली बात होगी. 

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नागपुर पुलिस के सामने ये मुश्किलें

सना खान मर्डर केस में नागपुर पुलिस के सामने कई मुश्किलें आ रही हैं. वह जबलपुर पुलिस पर सहयोग न करने के आरोप लगा चुकी है. आरोपी अमित साहू के हनीट्रैप और सेक्सटॉर्शन गैंग से जुड़ा कोई वीडियो अब तक बरामद नहीं हो पाया है. पुलिस ने लाश को खोजने के लिए अदालत में अमित के नार्को टेस्ट की अर्जी लगाई थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया. ऐसे में पुलिस पुख्ता परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की तलाश में है. अब यह देखने वाली बात है कि आरोप पत्र दाखिल करने की मियाद तक सना की लाश या लाश का अवशेष बरामद हो पाता है या नहीं. या फिर पुलिस अदालत में परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ही आरोपियों पर एलिगेशन लगाएगी.

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