महिलाओं के खिलाफ अपराध में टॉप पर MP, यहां से गुम हुईं एक लाख से ज्यादा महिलाएं और बेटियां

एक ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) महिला सशक्तिकरण और बेटियों को सम्मान देने की बात करते हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश के माथे पर एक बड़ा कलंक महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध और अत्याचार का लगा हुआ है.

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Madhya Pradesh News : मध्यप्रदेश में जहां एक ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) महिला सशक्तिकरण और बेटियों को सम्मान देने की बात करते हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश के माथे पर एक बड़ा कलंक महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध और अत्याचार का लगा हुआ है. खुद केंद्र सरकार के आंकड़े कह रहे हैं कि देश के दिल मध्यप्रदेश में हर दिन औसतन 17 से 18 दुष्कर्म के मामले देखने को मिलते हैं.


सबसे ज्यादा महिलाएं मध्यप्रदेश से गुम हुईं

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2019 से 2021 के बीच देशभर में 13 लाख 13 हजार लड़कियां और महिलाएं लापता हुई हैं, इनमें से सबसे अधिक मामले मध्य प्रदेश के हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जुटाए गए आंकड़े बताते हैं कि 2019 से 2021 के बीच पूरे देश में 18 साल से अधिक आयु की 10 लाख 61 हजार 648 महिलाएं लापता हुईं. वहीं इस दौरान 18 साल से कम आयु की दो लाख 51 हजार 430 लड़कियां गायब हुई हैं. इनमें से एक लाख 60 हजार 180 महिलाएं और 38 हजार 234 लड़कियां मध्य प्रदेश से गायब हुई हैं.

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नाबालिगों बच्चियों से दुष्कर्म के मामले में नंबर वन स्टेट

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देश भर में नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के 33 हजार 36 आए थे, जिसमें से सबसे ज्यादा 3 हजार 515 मामले मध्यप्रदेश में दर्ज किए गए थे. वहीं कुल ज्यादती के मामलों में 6 हजार 462 एमपी के ही थे. आंकड़ों को देखा जाए तो मध्य प्रदेश में हर दिन लगभग 17 से 18 रेप औसतन हो रहे हैं.

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2020 में भी यही हालात मध्यप्रदेश के थे, उस दौरान यहां 5 हजार 598 दुष्कर्म के केस दर्ज किए गए थे, जिसमें से 3 हजार 259 नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के मामले थे. उस समय भी मध्य प्रदेश इस मामले में देश में नंबर वन था

आदिवासियों पर भी जमकर हुआ अत्याचार

मध्य प्रदेश में 2021 में आदिवासी उत्पीड़न के 2 हजार 627 केस दर्ज किए गए हैं, ये पूरे भारत में सबसे ज्यादा हैं. मध्य प्रदेश में 2018 और 2021 के बीच में दलितों पर हुए अत्याचारों से जुड़े दर्ज मामलों में 51.7% की वृद्धि हुई है.

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