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टूल की तरह NSA का नहीं कर सकते इस्तेमाल, HC ने गलत कार्रवाई को लेकर कलेक्टर पर लगाया 2 लाख का जुर्माना

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर पीठ ने शहडोल के कलेक्टर केदार सिंह पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गलत तरीके से की गई कार्रवाई के लिए लगाया गया है.

टूल की तरह NSA का नहीं कर सकते इस्तेमाल, HC ने गलत कार्रवाई को लेकर कलेक्टर पर लगाया 2 लाख का जुर्माना

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर पीठ ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका,NSA) के तहत की गई एक कार्रवाई के सिलसिले में शहडोल के कलेक्टर केदार सिंह पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और अगली सुनवाई में अदालत में मौजूद रहने का आदेश दिया है. अदालत ने साथ ही शहडोल के कलेक्टर को अवमानना का नोटिस जारी किया और कहा कि उन्हें जुर्माने की रकम अपनी जेब से देनी होगी.

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति एके सिंह की युगलपीठ ने शहडोल निवासी किसान हीरामनी वैश्य की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है. युगलपीठ ने इस मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव को अतिरिक्त प्रमुख सचिव तथा शहडोल कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई के निर्देष जारी किए हैं.

वैश्य ने अपनी याचिका में कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना उनके बेटे सुशांत वैश्य के खिलाफ रासुका की कार्रवाई को चुनौती दी थी.

यह है मामला

याचिका में कहा गया था कि रासुका की कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक ने 6 सितंबर 2024 को जिला कलेक्टर को प्रतिवेदन भेजा था और कलेक्टर ने नौ सितंबर 2024 को बिना किसी स्वतंत्र गवाह के बयान दर्ज करते हुए उसी दिन रासुका कार्रवाई के आदेश पारित कर दिए.

पीड़ित के पिता ने याचिका में दावा किया कि जिस आपराधिक प्रकरण के कारण उनके बेटे पर रासुका की कार्रवाई की गई है, उसमें लोक अदालत के माध्यम से पहले ही समझौता हो चुका है.

जेल में बिताने पड़े 14 महीने

याचिका में यह आरोप भी लगाया गया है कि जब पुलिस अधीक्षक ने एक आरोपी नीरज कांत द्विवेदी पर रासुका लगाए जाने की कलेक्टर से अनुसंशा की थी तो कलेक्टर सिंह ने आरोपी की जगह सुशांत वैश्य पर रासुका लगाने का आदेश दे दिया. याचिकाकर्ता का कहना था कि कलेक्टर की इस चूक के कारण उनके बेटे सुशांत को 14 महीने जेल में बिताने पड़े.

इसके बाद पुलिस ने सुशांत को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. फिर उसके पिता ने उच्च न्यायालय का रुख किया. सुनवाई के दौरान कलेक्टर ने स्वीकार किया कि रासुका आदेश में आरोपी नीरज कांत द्विवेदी के बजाय गलती से याचिकाकर्ता के पुत्र के नाम का उल्लेख हो गया.

उनके अधिवक्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि नीरज कांत द्विवेदी और सुशांत वैश्य के मामलों की सुनवाई एक साथ की गई थी और इसी में यह तथ्यात्मक गलती हो गई.

राज्य सरकार को भेजी फाइल कोर्ट में करें पेश

युगलपीठ ने अपने आदेश में जिला कलेक्टर के द्वारा रासुका की कार्रवाई के अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजी गई फाइल अदालत में पेश करने का आदेश दिया. साथ ही यह भी कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया है तो राज्य को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

अतिरिक्त प्रमुख सचिव (गृह) की तरफ से पेश हलफनामे में कहा गया कि रासुका के आदेश को अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजा गया था लेकिन टाइपिंग की गलती के कारण आदेश में याचिकाकर्ता के पुत्र के नाम के स्थान पर नीरजकांत द्विवेदी के नाम का उल्लेख किया गया है.

टूल की तरह नहीं किया जा सकता रासुका का इस्तेमाल

हलफनामे में कहा गया कि इसके लिए क्लर्क को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. युगलपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि रासुका का इस्तेमाल टूल की तरह नहीं किया जा सकता है और यह तभी की जाती है जब व्यक्ति से समाज एवं लोगों में भय की स्थिति उत्पन्न होती है.

युगलपीठ ने कलेक्टर पर दो लाख रुपये का व्यक्तिगत जुर्माना लगाते हुए उक्त राशि याचिकाकर्ता के पुत्र के खाते में जमा करने के आदेश जारी किए है.

अदालत ने इसके अलावा मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि कलेक्टर तथा अतिरिक्त प्रमुख सचिव के खिलाफ रासुका की आदेश का अवलोकन कर कार्रवाई करें. अदालत ने साथ ही गलत हलफनामा पेश करने पर कलेक्टर के खिलाफ अवमानना कार्यवाही प्रारंभ करते हुए नोटिस जारी किए.

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