मध्य प्रदेश पर ₹4 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज ! सिर्फ ब्याज चुकाने में जा रहे हैं 50 हजार करोड़ ...

मध्यप्रदेश का बजट 12 मार्च को पेश होना है लेकिन इससे पहले पेश आर्थिक सर्वे में जो बात सामने आई वो थोड़ी चिंता में डालती है. इसके मुताबिक राज्य पर कुल 4 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है. हर साल इसका ब्याज चुकाने में ही 50 हजार करोड़ खर्च हो रहे हैं. हालांकि सरकार इसे गैर वाजिब चिंता बताती है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

MP Budget 2025-26: मध्य प्रदेश पर ₹4 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो गया है,जो अब राज्य के पूरे बजट से भी ज्यादा है! हर साल ₹50,000 करोड़ सिर्फ ब्याज चुकाने में जा रहा है, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं. सवाल यह है कि क्या सरकार इस आर्थिक दबाव को संभाल पाएगी?

कैसे बढ़ा मध्य प्रदेश का कर्ज?

2004-05 में राज्य का कर्ज-जीएसडीपी अनुपात 39.5% था. इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 2005 में मध्य प्रदेश वित्तीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम लागू किया, जिससे अनावश्यक कर्ज लेने पर रोक लगाई जा सके और वित्तीय अनुशासन बना रहे. इसका असर दिखा और 2019-20 तक कर्ज घटकर 25.43% रह गया. लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार को ज्यादा खर्च करना पड़ा, जिससे कर्ज फिर बढ़ने लगा. वित्त आयोग द्वारा सुझाया गया वित्तीय समेकन मार्ग 2023 के लिए 32.90% था, राज्य सरकार की उपलब्धि 27.51% रही, 2024-25 में ये फिर बढ़कर 32.32% हो गया.

Advertisement

₹50,000 करोड़ सिर्फ ब्याज चुकाने में! विकास कार्यों पर असर

पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने सरकार की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि राज्य को अब हर साल ₹50,000 करोड़ सिर्फ कर्ज के ब्याज चुकाने में खर्च करने पड़ रहे हैं. उआन्होंने तर्क दिया कि अगर यह पैसा बचाया जाता तो इसका इस्तेमाल सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य विकास कार्यों में हो सकता था. इसी मुद्दे पर उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा है कि राज्य में वित्तीय इमरजेंसी जैसे हालात हैं. सरकार ने चुनाव से पहले जो वायदे किये थे उसे पूरा नहीं किया. सरकार में गैर अनुभवी लोग बैठे हैं इसीलिए बजट सत्र में सरकार उधार ले रही है.

Advertisement

आसानी से समझिए क्या है वास्तविक स्थिति

कर्ज-जीएसडीपी अनुपात किसी राज्य के कुल कर्ज को उसकी सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के मुकाबले दर्शाता है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगता है। अगर यह अनुपात ज्यादा होता है, तो राज्य को ब्याज चुकाने में अधिक खर्च करना पड़ता है, जिससे विकास, बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा पर कम निवेश होता है। बढ़ता कर्ज वित्तीय स्थिरता को कमजोर कर सकता है, जिससे सरकार को नए कर्ज लेने या टैक्स बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है.

Advertisement

उधारी पर बढ़ती ब्याज दरें 

  • मार्च 2023 में  बकाया उधारी पर औसत ब्याज दर 6.93%  
  • मार्च 2024 (अनुमानित): 7.37% तक पहुंच सकती है
  • जाहिर है जिससे मध्यप्रदेश पर कर्ज का बोझ और बढ़ेगा

सरकार का क्या कहना है?

हालांकि, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने इसे गैर वाजिब चिंता बताया है. NDTV से बातचीत में उन्होंने कहा- "चिंता करने की कोई बात नहीं है. हमने जो कर्ज लिया है, उसे हम नियमों के अनुसार ब्याज समेत चुका रहे हैं.हम तय प्रक्रियाओं के तहत ही उधार ले रहे हैं, और मुझे इसमें कोई समस्या नहीं दिखती."

जनता के मन में है ये सवाल

राज्य एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है. क्या सरकार अपने वित्तीय खर्चों में कटौती करेगी या कर्ज का बोझ और बढ़ता रहेगा?  जनता के मन में सवाल उठ रहे हैं—क्या विकास कार्यों की रफ्तार धीमी पड़ जाएगी? इन सवालों का जवाब या तो सरकार दे सकती है या फिर आने वाला वक्त खुद-ब-खुद स्थिति को साफ कर देगा. 

ये भी पढ़ें: Wine Shop Contract: शराब की दुकान से रेवेन्यू के मामले में बुरहानपुर सबसे आगे, जानिए कितने में हुई नीलामी