मध्यप्रदेश में इन वजहों से चुनाव में हारी कांग्रेस, कमलनाथ समेत ये हैं 5 बड़े फैक्टर

Madhya Pradesh Election Results 2023: कांग्रेस में संगठन का पूरी तरह से अभाव दिख रहा था. चुनाव के समय जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी अपने संगठन के दम पर चुनाव लड़ रही थी. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के पास कोई संगठनात्मक ढांचा नहीं दिख रहा था. कांग्रेस प्रत्याशी अपने स्वयं के कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव लड़ते दिखाई दे रहे थे.

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Madhya Pradesh Election Results 2023:  कांग्रेस मध्य प्रदेश में उम्मीदों के विपरीत सत्ता से बाहर होती दिख रही है. हालांकि, यहां कांग्रेस (Congress) जीत के लिए आश्वस्त दिख रही है थी, लेकिन अब तक के रुझानों में कांग्रेस के लिए बहुत ही बुरी खबर है. चार बजे तक की मतगणना के मुताबिक मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस 230 सीटों में से 63 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. हालत ये है कि कांग्रेस के कई दिग्गज खुद अपनी सीट भी गंवाते नजर आ रहे हैं.

कमलनाथ ने की गलती

कमलनाथ ने अपने चुनावी वादों को 6 महीने पहले ही घोषित कर दिया, जिसमें ₹1500 महिला सम्मान योजना, ₹500 में गैस सिलेंडर और 100 यूनिट तक बिजली फ्री का वादा था. इसे भारतीय जनता पार्टी ने चालाकी से उठा लिया और शिवराज सिंह चौहान ने इस योजनाओं को लागू भी कर दिया. कमलनाथ की यह गलती कांग्रेस को भारी पड़ गई.

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संगठन का अभाव

कांग्रेस में संगठन का पूरी तरह से अभाव दिख रहा था. चुनाव के समय जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी अपने संगठन के दम पर चुनाव लड़ रही थी. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के पास कोई संगठनात्मक ढांचा नहीं दिख रहा था. कांग्रेस प्रत्याशी अपने स्वयं के कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव लड़ते दिखाई दे रहे थे.

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नेतृत्व का अभाव

कांग्रेस के पास एकमात्र नेतृत्व कमलनाथ का दिख रहा था. बहुत से स्थान पर को कमलनाथ समर्थक प्रत्याशी ने सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के फ़ोटो भी पोस्टर पर नहीं लगवाए थे, सिर्फ कमलनाथ और प्रत्याशी के चित्र लगे थे. भारतीय जनता पार्टी ने कमलनाथ को थका हुआ नेतृत्व साबित करने की पूरी कोशिश की, जिसमें वह सफल भी हुए.

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आदिवासी वोट बैंक से दूरी

भारतीय जनता पार्टी ने 2018 के चुनाव से सबक लेते हुए आदिवासी और ओबीसी वर्ग को साधने का पूरा प्रयास किया,  जिसमें वह सफल होते हुए भी दिखाई दे रहे हैं. इसके विपरीत कांग्रेस ने आदिवासियों टेकन फॉर ग्रांटेड लेते हुए उस तरह की पहल नहीं की, जितना उन्हें करनी चाहिए था.

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मोदी फैक्टर पड़ा भारी

इसके साथ ही एक बार फिर मध्य प्रदेश में मोदी और मोदी के दिल में मध्य प्रदेश का फैक्टर काम कर गया. हर जगह मोदी के नाम पर भाजपा की ओर से वोट मांगे गए. आमतौर पर  सभी बड़ी सभा में भारतीय जनता पार्टी ने शिवराज सिंह की फोटो न लगाकर प्रधानमंत्री  मोदी को ही प्रमुखता दी और कई जगहों पर तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी  शिवराज सिंह के नाम का उल्लेख तक नहीं किया. न ही उनकी योजनाओं की बात की. इससे ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश के पुरानी सरकार से जो लोग ऊब गए थे, जो शिवराज को नहीं चाहते थे, उन्होंने मोदी के नाम पर एक बार फिर से भाजपा को वोट किया, जिससे भाजपा एक बार फिर से प्रदेश में सरकार बनाती दिख रही है. 

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