
लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में महज कुछ ही दिन शेष बचे हैं. ऐसे में पक्ष-विपक्ष के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. इधर, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भी मुख्यमंत्री मोहन यादव (CM Mohan Yadav) और कांग्रेस (Congress) नेता कमलनाथ (Kamal Nath) आमने सामने आ गए हैं. दरअसल, छिंदवाड़ा में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था, 'छिंदवाड़ा में सब गड़बड़ है'
सीएम के इस बयान पर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मोहन यादव को घेरा था. उन्होंने कहा था, 'मोहन यादव ने छिंदवाड़ा की जनता का अपमान किया है. सीएम माफी मांगे.' वहीं कमलनाथ के इस बयान के आने के बाद अब मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए जवाब दिया है. उन्होंने कहा, 'छिंदवाड़ा के लोग जानते हैं कि माफी किसे मांगनी चाहिए.'
सीएम मोहन यादव का कमलनाथ पर पलटवार
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक्स पर पोस्ट शेयर कर लिखा, 'माननीय कमलनाथ जी, छिंदवाड़ा में हुई परिवारवाद की गड़बड़ जगजाहिर है. यहां कभी आदिवासी समाज के किसी व्यक्ति को अवसर नहीं मिला. 40 वर्षों में छिंदवाड़ा की माताओं-बहनों की लीडरशिप को आगे आने का अवसर नहीं मिला.
सीएम ने कहा- इस बार जनता करेगी न्याय
सीएम ने आगे लिखा, 'छिंदवाड़ा के आमजन जानते है कि माफी किसे मांगना चाहिए. माफी उन्हें मांगना चाहिए, जिन्होंने छिंदवाड़ा के लोगों के अधिकारों का हनन किया. छिंदवाड़ा की अस्मिता के संरक्षण के लिए भाजपा ने छिंदवाड़ा के बेटे विवेक बंटी साहू को मौका दिया है. जनता इस बार निश्चित रूप से न्याय करेगी.
माननीय कमलनाथ जी, छिंदवाड़ा में हुई परिवारवाद की गड़बड़ जगजाहिर है। यहां कभी आदिवासी समाज के किसी व्यक्ति को अवसर नहीं मिला। 40 वर्षों में छिंदवाड़ा की माताओं-बहनों की लीडरशिप को आगे आने का अवसर नहीं मिला।
— Dr Mohan Yadav (Modi Ka Parivar) (@DrMohanYadav51) March 28, 2024
1996 में एक बार अवसर आया तो श्रीमती नाथ को ही टिकट मिला। आपके विधायक… https://t.co/AzXCRqx6ys
छिंदवाड़ा किसी का गढ़ नहीं, गड़बड़ है
बता दें कि सीएम मोहन यादव बुधवार को बीजेपी के प्रत्याशी विवेक बंटी साहू के नामांकन दाखिला में शामिल होने के लिए छिंदवाड़ा पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कमलनाथ पर निशाना साधा था. सीएम ने कहा था, 'जो लोग कहते हैं कि छिंदवाड़ा इसका या उसका गढ़ है, तो यह किसी का गढ़ नहीं, गड़बड़ है.'