Lok Sabha Election 2024 Voting: मध्य प्रदेश में अलीराजपुर के जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में खास तौर पर बनाए गए कॉल सेंटर (Call Center) में काम कर रहीं सुनीता खरत रोजगार के लिए गुजरात (Gujrat) गए आदिवासी मजदूरों (Tribal Laborers) को फोन करके उन्हें लोकसभा चुनाव Election 2024 (Lok Sabha Election) के लिए मतदान का बुलावा देने में व्यस्त हैं. खरत उन 30 महिला कर्मचारियों में शामिल हैं जिन्हें इस काम का जिम्मा सौंपा गया है. झाबुआ-रतलाम लोकसभा क्षेत्र (Jhabua-Ratlam Lok Sabha constituency) में कुल 1.10 लाख प्रवासी मजदूरों को मतदान के लिए बुलाने के वास्ते अलीराजपुर के साथ ही झाबुआ में अलग-अलग कॉल सेंटर खोले गए हैं. मध्यप्रदेश का यह आदिवासी बहुल इलाका (Tribal Dominated Area) गुजरात से सटा है जहां के खेतों, कारखानों और भवन निर्माण क्षेत्र में मिलने वाली बेहतर मजदूरी के कारण ये श्रमिक अपनी मातृभूमि से सैकड़ों किलोमीटर दूर पलायन के लिए पिछले कई दशकों से मजबूर हैं.
यहां कब है वोटिंग?
जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित झाबुआ-रतलाम सीट पर 20.9 लाख मतदाता 13 मई को उम्मीदवारों का भविष्य तय करेंगे. अलीराजपुर के जिलाधिकारी (Collector of Alirajpur) अभय बेड़ेकर ने गुरुवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि जिले में रोजगार के लिए गुजरात गए प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) की तादाद लगभग 80,000 है और विशेष कॉल सेंटर के जरिये फोन करके उन्हें मतदान के वास्ते अपने गांव लौटने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
बेड़ेकर ने कहा कि मौजूदा लोकसभा चुनाव में अच्छी बात यह है कि भगोरिया का त्योहार मनाने के बाद प्रवासी मजदूरों के कई परिवार अब भी अपने गांवों में हैं और उन्हें फोन करके अनुरोध किया जा रहा है कि वे 13 मई को मतदान के बाद ही गुजरात जाएं.
वहीं झाबुआ की जिलाधिकारी (Collector of Jhabua) नेहा मीना ने बताया, 'हमारे द्वारा गांव-गांव से जुटाए आंकड़ों के मुताबिक जिले के 5,000 से ज्यादा परिवारों ने मजदूरी के लिए गुजरात पलायन किया है. इनमें मतदाताओं की तादाद 27,000 से 30,000 के बीच है.'
मीना ने बताया कि झाबुआ का प्रशासन प्रवासी मजदूरों को मतदान के वास्ते प्रोत्साहित करने के लिए अफसरों के दलों को गुजरात के उन 12 जिलों में भेजने पर भी विचार कर रहा है जहां ऐसे श्रमिकों की तादाद काफी ज्यादा है. उन्होंने कहा, 'मतदान की तारीख 13 मई के आस-पास आदिवासी समुदाय में कई शादियां होने वाली हैं. ऐसे में हम उम्मीद कर रहे हैं कि झाबुआ जिले के प्रवासी मजदूर अपने गांव लौटेंगे जिससे मतदान के प्रतिशत में सुधार होगा.'
मजदूरों का क्या कहना है?
गुजरात के जामनगर जिले के एक खेत में मजदूरी करने वाले दिलीप मावी (30) का कहना है कि कॉल सेंटर से फोन आने के बाद वह वोट डालने के लिए अलीराजपुर जिले के अपने गांव कदवाल आने के बारे में सोच रहे हैं. वैसे मावी जैसे हजारों प्रवासी श्रमिकों को अपने गांव आना-जाना आर्थिक रूप से भारी पड़ता है.
विकास के तमाम सरकारी दावों के बावजूद, अलीराजपुर और झाबुआ जिलों में रोजगार के लिए आदिवासियों के पलायन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि दोनों जिलों में रोजगार का अकाल है और पड़ोसी गुजरात में उन्हें बेहतर मजदूरी मिलती है. अलीराजपुर जिले में प्रवासी मजदूरों के एक परिवार के युवा सदस्य दीप सिंह बताते हैं, 'मेरे गांव के लगभग हर घर से कोई न कोई व्यक्ति मजदूरी के लिए गुजरात जाता है. गांव में हमारे लिए कोई काम-धंधा नहीं है.'
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