Lok Sabha Election 2024: ग्वालियर लोकसभा सीट से कौन होगा कांग्रेस उम्मीदवार, ये हैं बड़े दावेदार

Congress Lok Sabha Candidate Update: माना जा रहा है कि सीईसी में जिन दो नामों पर गम्भीरता से विचार होना है, उनमें सबसे पहला नाम रामसेवक सिंह बाबूजी का है. वे 2003 में यहां से कांग्रेस सांसद बने थे लेकिन एक स्टिंग ऑपरेशन में फंसने के चलते उन्हें अपनी सांसदी गंवानी पड़ी थी.

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Lok Sabha Election 2024 Congress Candidate: ग्वालियर संसदीय क्षेत्र (Gwalior Parliamentary Constituency) में लोकसभा का मतदान (Lok Sabha Voting) 7 मई को होनी है, लेकिन जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने न केवल अपनी पार्टी के प्रत्याशी (BJP Lok Sabha Candidate) के नाम का ऐलान कर दिया और अपना प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशी (Congress Candidate Gwalior Lok Sabha Seat) का नाम भी घोषित नहीं किया है. कांग्रेस की सीईसी (CEC) यानी केन्द्रीय निर्वाचन कमेटी की आज फिर दिल्ली में बैठक हो रही है. माना जा रहा है कि आज नाम का ऐलान हो जाएगा. सूत्रों की मानें तो नाम अभी तक राज्य के नेता फायनल ही नहीं कर सके हैं. उनके बीच उठापठक जारी है.

लगातार हार के बावजूद कांग्रेस में टिकट की इतनी मारामारी क्यों?

ग्वालियर संसदीय सीट पर बीते चार बार से कांग्रेस को पराजय का  मुंह देखना पड़ रहा है. इसके बावजूद ग्वालियर सीट प्रदेश की उन चुनिंदा सीट मे से एक है, जिस पर कांग्रेस में टिकट को लेकर मारामारी है और बड़ी संख्या में नेता अपनी दावेदारी कर रहे हैं. इसकी दो खास वजह हैं. एक तो यह कि बीते चार चुनावों के परिणाम देखें तो नतीजे बताते हैं कि यह सीट कांग्रेस जीत भले ही नही पाई  हो लेकिन उसने भाजपा को कड़ी टक्कर दी है.

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बीते चार चुनावो में से तीन में भाजपा ने यहां से अपने दिग्गज नेताओं यानी यशोधरा राजे सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर को उतारा लेकिन उनके जीत का मार्जिन महज 26 हजार से 36 हजार के बीच रहा. 2019 में भी जब मोदी लहर के चलते प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर भाजपा उम्मीदवार तीन से छह लाख मतों के अन्तर से जीते. ऐसे में ग्वालियर सीट पर भाजपा की जीत डेढ़ लाख ही रही. अगर 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें तो एक तरफ़ प्रदेश में जहां कांग्रेस का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया, वहीं ग्वालियर संसदीय क्षेत्र की आठ में से चार सीटें कांग्रेस जीतने में कामयाब रही. यही वजह है कि कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि इस बार वे इस  सीट को जीत सकते है.

यह हैं प्रमुख दावेदार

ग्वालियर सीट (Gwalior Seat) के लिए वैसे तो दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है. पूर्व सांसद रामसेवक सिंह बाबूजी और पूर्व विधायक प्रवीण पाठक के अलावा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा, पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव, युवक कांग्रेस नेता मितेन्द्र सिंह, विधायक डॉ सतीश सिकरवार, विधायक साहब सिंह गुर्जर और विधानसभा का चुनाव हार चुके सुनील शर्मा भी शामिल हैं.

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माना जा रहा है कि सीईसी में जिन दो नामों पर गम्भीरता से विचार होना है, उनमें सबसे पहला नाम रामसेवक सिंह बाबूजी का है. वे 2003 में यहां से कांग्रेस सांसद बने थे लेकिन एक स्टिंग ऑपरेशन में फंसने के चलते उन्हें अपनी सांसदी गंवानी पड़ी थी. हालांकि बाद में कोर्ट ने उन समेत सभी सांसदों को बरी कर दिया. इसकी वजह है कि वे गुर्जर समाज से है और ग्रामीण क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है. यह सीट पिछड़े वर्ग के बाहुल्य वाली है और उस पर उनकी ठीक पैठ है. दूसरे बड़े दावेदार हाल ही में विधानसभा चुनाव हार गए विधायक प्रवीण पाठक हैं. इसकी वजह उनकी युवा वय और आक्रामक तेवर होने के साथ ही क्षेत्र में ब्राह्मणों के दो से ढाई लाख वोटों का होना है. 

BJP ने बिगाड़ा कांग्रेस का गणित 

गवालियर सीट को ओबीसी सीट (OBC Seat) माना जाता है. यही वजह है कि विगत पांच चुनावों से इस सीट पर कांग्रेस ओबीसी प्रत्याशी ही उतारती रही है और बीजेपी से सवर्ण. लेकिन इस बार सबको चौंकाते हुए भाजपा ने अपने प्रत्याशी के रूप में पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाह को मैदान में उतार दिया जो काछी समाज से है और ग्वालियर ग्रामीण से दो बार विधायक और शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के मंत्रिमंडल में शामिल रहे है, लेकिन 2022 के चुनाव में वे पराजित हो गए इसके बावजूद बीजेपी ने उन्हें लोकसभा का टिकट (Lok Sabha Election Ticket) दे दिया. इससे कांग्रेस का ओबीसी गणित गड़बड़ा गया है.

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