![Lok Sabha Election 2024:खंडवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के प्रत्याशियों की बढ़ी मुश्किल, जानें क्या है माजरा? Lok Sabha Election 2024:खंडवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के प्रत्याशियों की बढ़ी मुश्किल, जानें क्या है माजरा?](https://c.ndtvimg.com/2024-05/ulourt9g_khandwa_625x300_15_May_24.jpg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=773,height=435)
Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश में चार चरणों में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. 13 मई को आखिरी चरण में खंडवा लोकसभा संसदीय क्षेत्र में मतदान संपन्न हो गया. खंडवा लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला है. चुनाव परिणाम 4 जून को आएंगे, लेकिन उससे पहले ही दोनों दलों के प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ गई है. दोनों प्रत्याशियों पर घोषणा पत्र में जानकारी छुपाने का आरोप लगा है.
खंडवा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी मनोज अग्रवाल ने निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र पर आरोप लगाया है कि बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों ने अपने घोषणा पत्र में जानकारी छुपाई. उनके मुताबिक बीजेपी प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल और कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल ने चुनाव आयोग में घोषित किए रिकॉर्ड में महत्वपूर्ण जानकारी छुपाई है.
सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल पर बैंक लोन का ढाई करोड़ रुपए नहीं चुकाने का आरोप
निर्दलीय प्रत्य़ाशी के मुताबिक बुरहानपुर के सहकारी सिटीजन बैंक के एक लोन के मामले में ढाई करोड़ की राशि नहीं चुकाने के चलते सहकारिता विभाग ने मप्र राज्य पावरलूम बुनकर फेडरेशन अध्यक्ष रहे भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को पद से हटा दिया था, जिसकी ज्ञानेश्वर पाटील ने अपने घोषणा पत्र में जानकारी नहीं दी है.
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नरेंद्र पटेल पर चुनाव प्रचार के दौरान आचार संहिता उल्लंघन का आरोप
वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल पर निर्दलीय प्रत्याशी मनोज अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान ईष्ट देव श्री राम का नाम लिखी टोपी पहनकर प्रचार किया,जो कि आचार संहिता का उल्लंघन है. पटेल के खिलाफ बुरहानपुर जिले की नावरा चौकी पर बकायदा नरेंद्र पटेल के खिलाफ FIR भी दर्ज है, जिसे घोषणा पत्र में छुपाया गया..
मामले पर बीजेपी प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटील के वकील आदित्य प्रजापति ने साफ किया उपचुनाव 2021 में भी इस संदर्भ में शिकायत हुई थी, चूंकि सहकारिता विभाग का डिफाल्टर अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए घोषणा पत्र में इसकी जानकारी दर्ज करना जरूरी नहीं है. वकील ने कहा, हम इसका जवाब कोर्ट के समक्ष देने को तैयार है.