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टूटी सियासी उम्मीदें तो उफनती नर्मदा में जा 'गिरे' नेताजी, लेकिन CCTV ने खोल डाली सारी पोल !

भाजपा के नेता और इंदौर के बड़े शराब कारोबारी माने जाने वाले पोपेंद्र सिंह बग्गा अचानक पुल पर पहुंचे और फिर नर्मदा की तेज़ धार में छलांग लगा दी. छलांग लगाने से पहले नेताजी का अंदाज़ बड़ा इत्मीनान वाला था. पूरी घटना सवाल खड़े करती है.

टूटी सियासी उम्मीदें तो उफनती नर्मदा में जा 'गिरे' नेताजी, लेकिन CCTV ने खोल डाली सारी पोल !

BJP leader Jumping into Narmada: रविवार की रात खंडवा के मोरटक्का ब्रिज पर वो नज़ारा देखने को मिला, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. देवास भाजपा के नेता और इंदौर के बड़े शराब कारोबारी माने जाने वाले पोपेंद्र सिंह बग्गा अचानक पुल पर पहुंचे और फिर नर्मदा की तेज़ धार में छलांग लगा दी. छलांग लगाने से पहले नेताजी का अंदाज़ बड़ा इत्मीनान वाला था. क्योंकि जब ये घटना हुई उससे पहले पोपेंद्र सिंह बग्गा स्कूटी से नर्मदा के पुल पर पहुंचे....आराम से एक दुकान के सामने स्कूटी पार्क की, फिर चप्पलें भी ब्रिज पर ही उतार दीं और नंगे पैर पुल पर जा खड़े हुए. लोग देख रहे थे कि वे देर तक वहीं खड़े रहे सोच में डूबे हुए, जैसे कोई बड़ा फैसला करने से पहले विचार विमर्श कर रहे हों. लेकिन किसी को क्या पता था कि अगले ही पल नेताजी सीधे उफनती नदी में छलांग लगा देंगे.

नेताजी ने कहा- पैर फिसल गया था...

नर्मदा का बहाव इतना तेज़ था कि बग्गा करीब 10 किलोमीटर तक बहते चले गए. रात का अंधेरा, पानी की रफ्तार और बीच नदी में तैरता एक शख्स. लोगों को लगा अब उनका बचना मुश्किल है. लेकिन किस्मत ने इस कहानी का दूसरा मोड़ लिखा. आली आश्रम के पास मछुआरों की नज़र उन पर पड़ गई. नेताजी को डूबता देख कुछ मछुआरे तुरंत नदी में कूदे और बग्गा को खींचकर बाहर निकाल लाए. फिलहाल बग्गा ठीक हैं और अपने परिवार के साथ हैं. लेकिन सवाल ये है कि बग्गा ने ऐसा क्यों किया तो इस सवाल के जवाब में खुद नेताजी ने कहा कि "पैर फिसल गया, इसलिए नदी में गिर पड़ा".

CCTV फुटेज तो कुछ और कहता है

हालांकि CCTV कुछ और कहानी बता रही है. पुलिस का कहना है कि पूरी घटना सीसीटीवी में कैद है. वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है- बग्गा स्कूटी पार्क करते हैं, पैदल पुल तक जाते हैं और छलांग लगाते हैं. मगर पूछताछ में नेताजी इस बात से साफ इनकार कर रहे हैं. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि अगर सचमुच पैर फिसला था, तो फिर चप्पलें उतारना और स्कूटी को इत्मीनान से पार्क करना क्या सिर्फ़ इत्तेफ़ाक़ था? शायद नहीं, क्यों वो समझिए.

कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली तो...

बग्गा के करीबियों का कहना है कि रविवार को ही भाजपा की नई कार्यकारिणी घोषित हुई थी और इसमें उन्हें जगह नहीं मिली. लंबे समय तक संगठन में सक्रिय रहने और जिला महामंत्री जैसे पद पर काम करने के बावजूद नाम रिपीट न होना उन्हें खल गया. और यही निराशा शायद उन्हें अंदर तक तोड़ गई. बग्गा सोशल मीडिया पर भी बहुत एक्टिव रहते हैं लेकिन इस घटना को लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ भी अपडेट नहीं किया है. लेकिन चर्चाएं लगातार हो रही हैं. खंडवा और देवास में लोग सवाल कर रहे हैं—एक बड़ा नेता और शराब कारोबारी आखिर इतनी परेशानी में क्यों था? और क्यों उसने अपनी तकलीफ़ किसी को नहीं बताई? फिलहाल पुलिस जांच कर रही है कि ये हादसा था या आत्मघाती कदम. लेकिन इतना तय है कि रविवार की रात नर्मदा की लहरें सिर्फ पानी नहीं बहा रहीं थीं, बल्कि एक नेता की टूटी हुई उम्मीदें और सियासी निराशा भी अपने साथ बहा ले जा रही थीं. 

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