Karila Sita Mandir: इस जगह पर लव-कुश ने अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को बांधा था, रंगपंचमी पर CM ने किए दर्शन

Karila Mata Mandir: अशोकनगर से 35 किमी दूर करीला नाम का स्थान है, जहां प्रसिद्ध जानकी माता का मंदिर स्थित है. इस स्थान को लव कुश के जन्म स्थान के रूप में भी जाना जाता है. रंगपंचमी पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेले का आयोजन हर वर्ष होता है.

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Karila Sita Mata Mandir: करीला धाम का महत्व

Karila Dham: मध्य प्रदेश में रंगपंचमी (Rang Panchami 2025) का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मौके पर अशोकनगर (Ashoknagar) में करीला स्थित सीता के मंदिर (Sita Mata Mandir) में भी भव्य आयोजन किया गया. इसमें मुख्यमंत्री मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने भी हिस्सा लिया. करीला वह स्थान है जिसका नाता माता सीता से है. यहां एक मंदिर है जिसमें सीता की प्रतिमा है और इसे सीता का मंदिर कहा जाता है. रंगपंचमी पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे मोहन यादव ने कहा कि माता सीता के नाम पर स्थापित इस धाम में भगवान राम के पुत्र लव-कुश और माता सीता का यह अद्भुत मंदिर है. यह मध्य प्रदेश के गौरव का स्थान है.

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इस मंदिर का महत्व क्या है?

करीला का यह ऐसा मंदिर है जहां भगवान राम के बिना सीता की पूजा होती है. इस मंदिर में सीता के साथ उनके दोनों पुत्र लव और कुश भी हैं. संभवतः देश का यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां सीता बिना राम के बिराजमान हैं और उनकी पूजा होती है. सीएम ने कहा कि ने यह मेला हमारी समृद्ध संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है. यह मेला हमारे गौरवशाली पृष्ठ का जीवंत प्रतीक है. मां जानकी की कृपा से घर-घर में सुख, समृद्धि, खुशहाली हो, यही मंगल कामना है.

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मान्यता है कि लंका से लौटने के बाद जब भगवान राम अयोध्या के राजा और सीता महारानी बनीं, तब एक व्यक्ति की बात पर भगवान राम ने सीता का त्याग कर दिया था. तब लक्ष्मण सीता को करीला स्थित निर्जन वन में छोड़कर चले गए थे. यह महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था, जहां सीता ने अपना जीवन बिताया. यहीं पर उन्होंने अपने पुत्रों को जन्म दिया और दोनों ने यहीं शिक्षा-दीक्षा ली.

कहा जाता है कि इसी जगह पर लव-कुश ने भगवान राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़कर बांध लिया था. होली से रंगपंचमी तक यहां विविध आयोजन होते हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों लोग यहां पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां की गई कामना पूरी होती है और खासकर बच्चों की कामना लेकर आने वालों की मनोकामना पूरी होती है. जिनकी मनोकामना पूरी होती है, वे लोग इस होली के पर्व पर विशेष अनुष्ठान करते हैं.

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