MP High Court: इमरती देवी की ओर से दर्ज FIR को पटवारी की चुनौती, कोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब 

MP News: जीतू पटवारी के इमरती देवी को लेकर दिए विवादित बयान मामले में कोर्ट ने नया नोटिस जारी किया है. अगली सुनवाई की डेट जुलाई महीने की दी है.

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जीतू पटवारी और इमारती देवी केस में नया अपडेट

Imarti Devi and Patwari Case: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी (Jitu Patwari) के विवादित बयान पर उनके खिलाफ पूर्व मंत्री इमरती देवी (Imarti Devi) ने ग्वालियर (Gwalior) के डबरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पुलिस द्वारा एसटी-एससी एक्ट (SC/ST Act) सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था. इसे चुनौती देते हुए जीतू पटवारी ने हाईकोर्ट (MP High Court) की शरण ली थी. जस्टिस संजय द्विवेदी (Sanjay Dwedi) की एकलपीठ ने मामले में इमरती देवी व शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये. एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 2 जुलाई के लिए निर्धारित की है.

जीतू पटवारी की दलील

याचिकाकर्ता जीतू पटवारी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि उन्होंने इमरती देवी को लेकर जो बयान दिया था, उसमें उन्होंने किसी प्रकार की जाति सूचक टिप्पणी नहीं की थी. इसके अलावा, ऐसा कोई इरादा नहीं था, जिसका उल्लेख एफआईआर में दर्ज किया गया है. बयान देने के आठ घंटे बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांग ली थी. माफी मांगने के घंटो बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गयी. इतना ही नहीं, प्रदेश के अन्य पुलिस स्टेशनों में भी शिकायत की गयी.

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वकील विभोर ने रखा पटवारी का पक्ष

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने पक्ष रखा. जिन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत अपराध नहीं बनता है, जो गैर जमानती है. प्रकरण में दर्ज की गयी अन्य धाराएं जमानती है. आवेदक ने अपने बयान में किसी के खिलाफ जातिसूचक बयान नहीं दिये और कोई अभद्रतापूर्ण इशारे भी नहीं किये, जिसका उल्लेख एफआईआर में किया गया है. बिना किसी साक्ष्य के आधार पर उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है.

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इमरती देवी को जारी हुआ नोटिस

कोर्ट की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद अनावेदिका इमरती देवी को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है. इसके साथ ही, न्यायालय ने एफआईआर दर्ज किये जाने के खिलाफ  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को स्वतंत्रता दी है कि वह अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र है.

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