MP: जबलपुर एयर कनेक्टिविटी पर भेदभाव के आरोप, एयरपोर्ट अथॉरिटी ने दिया ये जवाब

MP News: जबलपुर एयर कनेक्टिविटी पर भेदभाव के आरोप लगे हैं.  एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि मुंबई, दिल्ली और अन्य बड़े शहरों के लिए फ्लाइट्स शुरू करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है ? 

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Madhya Pradesh News: जबलपुर से एयर कनेक्टिविटी में भेदभाव का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में सुनवाई की जा रही है. इस मामले में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने अपना उत्तर प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि मुंबई, दिल्ली और अन्य बड़े शहरों के लिए फ्लाइट्स शुरू करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. यह निर्णय पूरी तरह से व्यावसायिक है, जिसे निजी विमानन कंपनियां लेती हैं. इस उत्तर पर हाई कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार 4 अक्टूबर को होगी.

याचिकाकर्ता ने ये कहा 

याचिकाकर्ता डॉ. पी.जी. नाजपांडे और रजत भार्गव ने दायर जनहित याचिका में कहा है कि पहले जबलपुर से मुंबई, पुणे, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों के लिए नियमित फ्लाइट्स संचालित होती थीं, जिससे शहर की एयर कनेक्टिविटी इंदौर, ग्वालियर और भोपाल के बराबर थी.

याचिका के अनुसार पूर्व में जबलपुर से प्रतिदिन लगभग 15 फ्लाइट्स चलती थीं, लेकिन अब यह संख्या घटकर केवल 5 रह गई है. इस स्थिति से शहर के विकास में अवरोध पैदा हो रहा है, और व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.

इससे पहले 2024 में जबलपुर एयरपोर्ट का विस्तार और नया टर्मिनल भवन बनाया गया था, जिसकी कुल लागत करीब 412 करोड़ रुपये आई थी. नए टर्मिनल के निर्माण के बाद उम्मीद की जा रही थी कि शहर से नई उड़ानों की संख्या बढ़ेगी और यहां के नागरिकों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी. इस टर्मिनल में प्रति वर्ष 5 लाख से अधिक यात्रियों को संभालने की क्षमता है और यह आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है. लेकिन इसके बावजूद, फ्लाइट्स की संख्या में कमी का सामना करना पड़ रहा है.

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ये निर्देश दिए 

जनहित याचिका में केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय, डीजीसीए (डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन) और एयरपोर्ट अथॉरिटी को अनावेदक बनाया गया है. प्रारंभिक सुनवाई में हाई कोर्ट की युगलपीठ ने विमानन कंपनियों को भी अनावेदक बनाने के निर्देश दिए थे.

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इंडियन एयरलाइंस, इंडिगो एयरलाइन्स, आकाश एयरलाइन्स और अन्य विमानन कंपनियों को नोटिस जारी किए गए हैं. कोर्ट ने कंपनियों को ईमेल के जरिए नोटिस भेजने का निर्देश भी दिया था.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय इस मामले में पैरवी कर रहे हैं. इस केस के जरिए यह मांग की गई है कि जबलपुर से फ्लाइट्स की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि शहर के विकास को पुनः गति मिले और एयर कनेक्टिविटी का मुद्दा हल हो सके.

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