मध्य प्रदेश में कर्मचारियों के उच्च वेतन पर हाईकोर्ट की सख्ती, सरकार को तीन हफ्ते का दिया अल्टीमेटम 

Jabalpur News: मध्य प्रदेश में कर्मचारियों के उच्च वेतन पर हाईकोर्ट सख्ती बरतते हुए सरकार को तीन हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है. जानते हैं क्या है पूरा मामला? 

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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाइ कोर्ट कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े 2016 के मामले में सरकार द्वारा निर्णय न लेने और लगातार टालमटोल करने को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका से टकराव से बचने के लिए सरकार को जल्द गतिरोध दूर करना चाहिए . हाई कोर्ट ने सरकार को जो निर्देश दिए थे, उनका पालन 31 जुलाई तक कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

आमने-सामने होगी न्यायपालिका और कार्यपालिका

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोर्ट कर्मियों के उच्च वेतनमान पर निर्देश जारी किए थे. कोर्ट ने कहा कि सरकार यह भी बताएं कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कठोर कार्रवाई की जाए?  चीफ सेक्रेटरी वीणा राणा ने वर्चुअल हाजिर होकर कोर्ट को बताया कि वर्तमान में विधानसभा सत्र जारी है इसलिए सरकार को कुछ मोहलत और दे दी जाए. चीफ सेक्रेटरी  इस बयान को कोर्ट ने रिकॉर्ड में लेते हुए कहा की तीन सप्ताह में सरकार निर्णय लेकर कोर्ट को सूचित करें .

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हाईकोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले 7 सालों से सरकार मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के निर्णय पर चुप्पी साधे हुए है. चीफ जस्टिस की अनुशंसा के बाद भी सरकार का रवैया टाल मटोल रहा है.  

कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अब भी यदि राज्य सरकार निर्णय लेने में समय लगाएगी तो ऐसी स्थिति पैदा होगी जहां न्यायपालिका और कार्यपालिका आमने-सामने होगी जो प्रशासन के हित में नहीं है.

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क्या है मामला

हाई कोर्ट कर्मी कृष्ण पिल्लई सहित 109 कर्मचारियों ने याचिका दायर कर उच्च वेतनमान और भत्ते देने के लिए 2016 में याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता के एडवोकेट नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में कोर्ट ने 2017 में राज्य सरकार को आदेश जारी किए हैं, लेकिन इनका पालन नहीं हो रहा है . 2018 में एक बार पुनः अवमानना की याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिस पर पूर्व में चीफ जस्टिस ने हाई कोर्ट कर्मचारी के लिए उच्च वेतनमान की सिफारिश की थी जो उन्हें नहीं दिया गया.  

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समिति ने भी की थी सिफारिश 

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े मामले के लिए बनी विशेष कमेटी की रिपोर्ट भी 21 मई 2022 को सरकार ने सील बंद लिफाफे में कोर्ट में प्रस्तुत की थी.  इसके पहले कोर्ट के आदेशों का परिपालन करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी में हाई कोर्ट के रजिस्टर जनरल, विधि एवं विधायक कार्य विभाग के प्रमुख सचिव, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव एवं एडिशनल चीफ सेक्रेटरी शामिल थे. इन्हीं के द्वारा यह रिपोर्ट तैयार की गई थी. कोर्ट के कड़े रुख को देखते हुए सरकार 3 हफ्तों में इस विषय में कोई ना कोई अंतिम निर्णय लेकर हाईकोर्ट को सूचित करेगी.

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