शादी करवाने से पहले पंडित को देखना होगा बर्थ सर्टिफिकेट, वरना होगी बड़ी कार्रवाई 

MP News: बाल विवाह को रोकने के लिए जबलपुर कोर्ट ने एक एडवाइजरी जारी है. जिसमें साफ कहा गया है कि विवाह करवाने के पहले पंडित, होटल और मैरिज गार्डन के संचालक को भी वर-वधु का जन्म प्रमाणपत्र देखना ज़रूरी है.

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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिला अदालत के नवम व्यवहार न्यायाधीश डीपी सूत्रकार ने नगर निगम,जबलपुर के क्षेत्राधिकार में एक महत्वपूर्ण एडवायजरी जारी की है. इसमें स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है कि विवाह संपन्न कराने से पहले पुरोहितों को वर-वधु के जन्म प्रमाण पत्र की जांच करना जरूरी होगा.

इन्हें भी देखना है जरुरी

सिर्फ पुरोहित ही नहीं, बल्कि विवाह समारोह के आयोजन में शामिल मैरिज गार्डन और होटल संचालकों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि वे विवाह की बुकिंग से पहले वर-वधु के जन्म प्रमाण पत्र का सत्यापन करें. ऐसा न करने पर यह बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत अपराध माना जाएगा.

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के का विवाह अवैध और दंडनीय अपराध है. यदि पुरोहित, होटल संचालक या मैरिज गार्डन के प्रबंधक इस अधिनियम का उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट के बाल विवाह रोकने के लिए जारी आवश्यक परामर्श के आधार पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश के सभी मजिस्ट्रेटों को इस परामर्श की प्रति भेजकर संबंधित दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया था. इन निर्देशों का उद्देश्य बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करना है.इस एडवायजरी का उद्देश्य बाल विवाह को रोकने के लिए सभी संबंधित पक्षों को जिम्मेदारी सौंपना और इस सामाजिक कुरीति को समाप्त करना है.

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