Bhopal Gas Tragedy Case: भोपाल गैस त्रासदी अवमानना मामला, आज 9 अधिकारियों के आवेदन पर होगी बहस 

Bhopal gas tragedy contempt case: सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन समेत अन्य की याचिका की सुनवाई की थी. गैस पीडि़तों के इलाज और पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश दिए थे. इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे.सरकारी अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है. 

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Bhopal gas tragedy Case: भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal gas tragedy) मामले में पीड़ितों के इलाज और उनके पुनर्वास संबंधि शीर्ष अदालत के निर्देशों के उल्लंघन के मामले में बुधवार को 9 अधिकारियों की सजा और छूट पर बहस होगी. इस मामले की पूर्व की सुनवाई के बाद अदालत ने अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान समेत 9 बड़े अधिकारियों और तत्कालीन प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैस को अवमानना का दोषी माना था.  अब इस पर सजा क्या दी जानी इस पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में से एक के अनुपस्थित रहने की वजह से सुनवाई टाल दी गई.  

फिर होगी सुनवाई

बता दें कि इन सभी अधिकारियों ने उन पर लगे अवमानना के आरोप से मुक्त किए जाने का आवेदन अदालत में दायर किया था. इस मामले में अधिकारियों को सजा मिलेगी या राहत, इस पर बुधवार को होने वाली सुनवाई के दौरान कोर्ट विचार करेगा. माना जा रहा है कि सजा से मुक्ति वाले इस आवेदन पर कोर्ट के सजा सुनाए जाने के पहले अधिकारियों की ओर से दायर सजा मुक्ति आवेदन में दिए गए नए तथ्यों के साथ बहस की जाएगी.

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यह था मामला

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन समेत अन्य की याचिका की सुनवाई की थी. इसके बाद कोर्ट ने गैस पीड़ितों के इलाज और पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश दिए थे. इसके सात ही इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे. इस कमेटी को हर 3 महीने में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के सामने पेश करने के लिए कहा गया था. साथ ही रिपोर्ट के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाने थे. मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं पर कोई काम नहीं होने का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दाखिल की गई थी. सरकारी अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है.

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