MP News: कोर्ट ने दी जिला अस्पताल में मरीजों की सेवा करने की अनोखी सजा, पॉक्सो एक्ट का दर्ज हुआ था मामला...

Jabalpur News: भोपाल  की नाबालिग छात्रा ने अपने पड़ोसी से छेड़छाड़ से परेशान हो कर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. अभिषेक शर्मा बीबीए फर्स्ट ईयर का छात्र है. वो पड़ोसी लड़की के साथ छेड़छाड़ करता था, उसे फोन करके परेशान किया करता था. परेशान होकर पीड़ित लड़की ने थाने में शिकायत कर दी.

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Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के न्यायाधीश आनंद पाठक ने एक युवा को एक अनोखी सजा सुनाई है. जस्टिस आनंद पाठक ने सजा सुनाते हुए अपने आदेश में कहा "इस लड़के को एक बेहतर सिटीजन बनने के लिए समाज सेवा की सजा सुनाई जाती है."

पाक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया था मामला

भोपाल  की नाबालिग छात्रा ने अपने पड़ोसी से छेड़छाड़ से परेशान हो कर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. अभिषेक शर्मा बीबीए फर्स्ट ईयर का छात्र है. वो पड़ोसी लड़की के साथ छेड़छाड़ करता था, उसे फोन करके परेशान किया करता था. परेशान होकर पीड़ित लड़की ने थाने में शिकायत कर दी. भोपाल पुलिस ने पिपलानी थाने में 4 अप्रैल को पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया .

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गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने किया पेश

पुलिस ने आरोपी लड़के को गिरफ्तार करके कोर्ट के सामने पेश किया. आरोपी लड़के की मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जमानत की याचिका दायर की गई. लड़के के भविष्य को देखते हुए कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी है कि वह अगले दो महीने तक भोपाल की जिला अस्पताल में मरीजों की सेवा करेगा. यदि उसने सही सेवा की तो जमानत मिल जाएगी. नहीं तो उसे जेल भेज दिया जाएगा.

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माता पिता ने मांगी माफी

जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान आरोपी लड़के के पिता -माता भी पहुंचे. एडवोकेट सौरभ भूषण श्रीवास्तव ने कोर्ट से कहा, उसकी पढ़ाई चल रही है और यदि उसको सजा हो जाएगी तो उसका करियर बर्बाद हो जाएगा.  कोर्ट में आरोपी के माता-पिता ने लड़के के किये गए हरकतों पर माफी मांगी और कहा कि अब फिर यह नही होगा.

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कोर्ट का फैसला

अभिषेक शर्मा के एडवोकेट सौरभ भूषण श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि सामान्य ऐसा होता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि बेल पर छूटने के बाद यह उसे या उसके पेरेंट्स को प्रेशराइज नहीं करेगा की वो कोम्प्रोमाईज़ करें. और किसी तरह की गलत हरकतें नहीं करेगा. सामन्यत  ऐसा होता नहीं है लेकिन कोर्ट ने पहली बार यह सजा सुनाई है यह एक अच्छी पहल है.
कोर्ट ने पिपलानी थाने के एसओ को निर्देश दिया है कि यदि 2 महीने में एप्लीकेंट का व्यवहार अच्छा रहता है तो उसे बेल अलाउ की जाएगी लेकिन यदि उसके चाल - चलन में या हरकतों में कोई बदलाव नहीं होता है और कोई शिकायत आवेदकों के द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा आती है तो फिर कोर्ट विचार करेगा.

पुणे हादसे के बाद लिखवाया था निबंध

18 मई की रात 2 बजे के करीब पुणे में बाइक सवार अश्विनी कोष्टा और अनीश अवधिया को हाई स्पीड पोर्शे कार ने कुचल दिया था. दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी. अश्विनी जबलपुर और अनीश उमरिया का रहने वाला था. ये कार पुणे के बिल्डर का नाबालिग बेटा नशे में धुत होकर चला रहा था. वह 12वीं पास की खुशी में पार्टी कर लौट रहा था. बड़ी बात ये है कि महज 14 घंटे के अंदर ही उसे जमानत मिल गई. जमानत के लिए निचली अदालत ने एक्सीडेंट पर निबंध लिखने और ट्रैफिक पुलिस के साथ 15 दिन काम करने जैसी शर्तें रखीं थी. 

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