Indore: प्रोफ़ेसर ने नैनो उपग्रहों के लिए खास एंटीना किया विकसित, आप भी जानिए कैसे बनाया

MP News: श्री जीएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (ASGSITS) के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापक प्रोफेसर सतीश कुमार जैन ने बताया कि सात साल के अनुसंधान के बाद उन्होंने नैनो उपग्रहों पर लगने वाले अलग-अलग तरह के एंटीना का आकार 17 से 33 प्रतिशत तक घटा दिया है.

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Indore News: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर के एक इंजीनियरिंग महाविद्यालय के प्रोफेसर ने घोड़े की नाल से प्रेरणा लेकर नैनो उपग्रहों पर लगने वाले एंटीना का आकार 33 प्रतिशत तक घटा दिया है. उपग्रहों की कार्यक्षमता बढ़ाने पर केंद्रित इस आविष्कार के लिए केंद्र सरकार ने प्रोफेसर को पेटेंट भी प्रदान किया है.

ISRO के वैज्ञानिकों से चर्चा के बाद बनी योजना

श्री जीएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (ASGSITS) के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सतीश कुमार (Satish Kumar Jain)जैन ने बताया कि सात साल के अनुसंधान के बाद उन्होंने नैनो उपग्रहों पर लगने वाले अलग-अलग तरह के एंटीना का आकार 17 से 33 प्रतिशत तक घटा दिया है.उन्होंने बताया कि नैनो उपग्रहों के एंटीना के डिजाइन की चुनौतियों को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)के वैज्ञानिकों से चर्चा के बाद मैंने इस आविष्कार की योजना बनाई. इसके आकार के लिए मुझे घोड़े की नाल से प्रेरणा मिली. इसलिए मैंने नैनो उपग्रहों के एंटीना के लिए अपने खास डिजाइन को हॉर्स शू का नाम दिया है.जैन के मुताबिक एंटीना का आकार छोटा होने से नैनो उपग्रहों में पहले से ज्यादा एंटीना लगाए जा सकेंगे और जाहिर है कि ये पुराने डिजाइन के एंटीना से हल्के भी होंगे.

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अलग-अलग कामों में मदद मिलेगी 

उन्होंने कहा कि छोटे एंटीना के कारण अंतरिक्ष में तैनात उपग्रह और धरती पर स्थित नियंत्रण कक्ष के बीच सिग्नलों का बेहतरीन आदान-प्रदान हो सकेगा. इससे अंतरिक्ष में उपग्रहों की दिशा तय करने और उससे डेटा हासिल करने जैसे अलग-अलग कामों में मदद मिलेगी और उपग्रहों की कार्यक्षमता बढ़ेगी. एसजीएसआईटीएस, सरकारी सहायता प्राप्त स्वायत्त संस्थान है. जैन ने बताया कि संस्थान की 'एडवांस्ड रेडियो फ्रीक्वेंसी एंड माइक्रोवेव लैब' में उन्होंने नैनो उपग्रहों के लिए खास एंटीना विकसित किया.

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