Indore: 125 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले में फरार इंजीनियर UP से गिरफ्तार, रिश्तेदार के घर छिपा था 25 हजार का इनामी

Indore Municipal Corporation fraud: इंदौर नगर निगम के ड्रेनेज फर्जी बिल घोटला मामले के मुख्य आरोपी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अभय राठौर को पुलिस ने यूपी के एटा से गिरफ्तार कर लिया है. उससे पूछताछ जारी है.

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इंदौर (मध्यप्रदेश):

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) में ड्रैनेज के फर्जी बिल लगाकर करोड़ों रुपये का घोटाला (Indore Nagar Naigam Ghotala) करने वाले आरोपियों की पुलिस द्वारा लगातार धरपकड़ की जा रही है. इसी कड़ी में पुलिस ने मुख्य आरोपी इंजीनियर को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के एटा से गिरफ्तार किया है. आरोपी इंदौर से फरार होकर उत्तर प्रदेश में अपने रिश्तेदार के घर छुपा हुआ था, लेकिन मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने उसे खोज निकाला. बता दें कि फरार आरोपी पर 25000 रुपये का इनाम घोषित था.

UP के एटा से गिरफ्तार किया गया फरार एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अभय राठौर

इंदौर नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले में निलंबित और फरार एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अभय राठौर को  पुलिस द्वारा उत्तर प्रदेश के एटा से गिरफ्तार किया है. बता दें कि इंदौर के गुलाब बाग स्थित कॉलोनी से वह इस फर्जी बिल घोटाले में नाम आने के बाद से फरार हो गया था. हालांकि पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी के लिए लंबे समय से कई जगह दबिश दे रही थी, लेकिन वो हाथ नहीं आ रहा था. वहीं इंदौर के पांच थानों की एक स्पेशल टीम बनाई गई जिसके बाद आरोपी अभय राठौर को गिरफ्तार किया गया.

8 अन्य आरोपियों की हो चुका है गिरफ्तारी

इससे पहले इस मामले में 8 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इन सभी आरोपियों पर 5 हजार और 10 हजार का इनाम घोषित था.

डीसीपी पंकज कुमार पांडे ने बताया कि नगर निगम के कार्यपालन इंजीनियर अभय राठौर को उत्तरप्रदेश के एटा से गिरफ्तार किया गया. उन्होंने बताया कि आरोपी को एक स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा और उसे पुलिस हिरासत में भेजे जाने का अनुरोध किया जाएगा. डीसीपी ने बताया कि राठौर नगर निगम के ड्रेनेज विभाग में लम्बे समय तक पदस्थ रहे हैं.

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53 करोड़ रुपये के फर्जी बिल किये गए थे पेश

पांडे ने बताया कि राठौर ने कुछ ठेकेदारों से मिलीभगत करके शहर में सीवर लाइन बिछाने के नाम पर उन्हें करोड़ों रुपये के फर्जी बिलों का भुगतान करा दिया, जबकि हकीकत में ये लाइन कभी बिछाई ही नहीं गई थीं.

उन्होंने बताया,‘पुलिस की अब तक की जांच में पता चला है कि सीवर लाइन बिछाने के नाम पर नगर निगम में 53 करोड़ रुपये के फर्जी बिल पेश किए गए और इनके बदले 29 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. जांच में इस घोटाले का आंकड़ा बढ़ सकता है.'

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डीसीपी ने बताया कि फर्जी बिल घोटाले में चार ठेकेदारों और चार नगर निगम कर्मियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.

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