Land Mafia: बेशकीमती सरकारी जमीन पर कब्जा! बन गए घर-दुकान! जल संसाधन विभाग ने इन अधिकारियों पर लगाए आरोप

Land mafia: श्योपुर के गिरधरपुर गाँव मे जल संसाधन विभाग की कीमती 17 बीघा से ज्यादा जमीन पर इलाके के दबंग और भू माफियाओं ने कब्ज़ा करते हुए रहने के लिए अपने घर और व्यापार करने के लिए  दुकाने बना लीं. आइए जानते हैं पूरा मामला?

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Land Mafia: सरकारी जमीन पर कब्जा

Land Mafia in Sheopur: श्योपुर के गिरधरपुर गांव में जल संसाधन विभाग (Water Resources Department) की 17 बीघा से ज्यादा खाली पड़ी हुई. सरकारी जमीन (Government Land) पर भू माफिया और इलाके के दबंग लोगों ने कब्ज़ा और अतिक्रमण करते हुए मकान और दुकान बना लिए, तो वहीं दूसरी और जल संसाधन विभाग के खाली पड़े सरकारी क्वाॅटरों में भी इलाके के कई प्रायवेट लोग जबरन घुसते हुए कई वर्षों से कब्ज़ा किए हुए हैं. लंबे समय से ये सब होता रहा और जल संसाधन विभाग के अफसर नींद में सोते रहे. अतिक्रमणकारियों को सिर्फ नोटिस देकर अपनी कार्यवाही की खाना पूर्ति करते रहे. वहीं जब सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर जिम्मेदारों पर सवाल उठे तो जल संसाधन विभाग के अफसरों ने कराहाल SDM व तहसीलदार के पाले में गेंद डालकर दोनों अफसरों पर सीमांकन नहीं करने के आरोप लगा दिए.

क्या है मामला?

श्योपुर के गिरधरपुर गाँव मे जल संसाधन विभाग की कीमती 17 बीघा से ज्यादा जमीन पर इलाके के दबंग और भू माफियाओं ने कब्ज़ा करते हुए रहने के लिए अपने घर और व्यापार करने के लिए  दुकाने बना लीं. जल संसाधन विभाग की सरकारी जमीन पर लोग कब्ज़ा करते रहे. ऐसे मे जब अफसरों से इन अतिक्रमण कारियों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर जबाब पूछा गया तो अफसर कब्जेधारी भू माफियाओ को सालों से सिर्फ नोटिस देने तक की कार्यवाही का जबाब देते हुए नजर आए और राजस्व विभाग के अफसरों पर सीमांकन नहीं करने का आरोप लगाते हुये ख़ुद को बेबस बता रहे. 

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जल संसाधन विभाग का क्या कहना है?

श्योपुर जल संसाधन विभाग के EE कहते हैं कि "पिछले पांच सालो से विभाग  गिरधरपुर मे अपनी जमीन का सीमांकन करवाने के लिए कराहाल SDM ओर तहसीलदार को कई आवेदन दे चुके है लेकिन आज तक किसी भी SDM व तहसीलदार ने सीमांकन नहीं क़रवाया है. विभाग 15 से 20 लोगों के द्वारा ही कब्जा करने की बात स्वीकार कर रहा है. जबकि मौके पर तीन दर्जन से ज्यादा लोगों ने सरकारी भूमि पर कब्ज़ा करते हुए मकाने और दुकाने बना ली हैं. ऐसे मे सिर्फ अफसरों के पास कब्ज़ा करने वालों का आधा अधूरा ही रिकॉर्ड है.

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सवाल यही है की जब सरकारी जमीन पर लोग कब्ज़ा करते हुए मकान और दुकाने बना रहे थे, तब विभाग का अमला व जिम्मेदार क्या कर रहे थे?

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