IAS Santosh Verma Dismissal Proposal: मध्य प्रदेश में विवादित बयान और फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आरोपों में घिरे IAS अधिकारी संतोष वर्मा पर सरकार ने अब सबसे बड़ी कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा मामले का संज्ञान लेने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा से बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी शुरू कर दी है.
मध्य प्रदेश सरकार ने 11 दिसंबर 2025 की रात को आईएएस संतोष वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनको शासन के स्तर पर कार्यमुक्त कर दिया है.

फर्जी दस्तावेज़ों से ली गई पदोन्नति, आपराधिक मामले भी लंबित
जाली और फ़र्ज़ी दस्तावेज़ के आधार पर संनिष्ठा प्रमाण पत्र प्राप्त करने के आरोप के लिए विभागीय जांच अंतिम स्तर पर है.
संतोष वर्मा के खिलाफ विभिन्न अदालतों में आपराधिक प्रकरण भी लंबित हैं. विभाग ने माना है कि धोखाधड़ी के आधार पर मिली IAS पदोन्नति वैध नहीं है, इसलिए बर्खास्तगी का प्रस्ताव केंद्र शासन को भेजा जा रहा है.
कारण बताओ नोटिस पर जवाब असंतोषजनक
मध्य प्रदेश सरकार के अनुसार संतोष वर्मा द्वारा दिए गए लिखित जवाब को असंतोषजनक पाया गया. विभागीय जांच अपने अंतिम चरण में है और GAD ने उनके मर्यादा-विहीन बयानों को गंभीर माना है. इसी आधार पर विभाग ने उन्हें चार्जशीट जारी करने का निर्णय भी लिया है. राज्य शासन ने संतोष वर्मा को कृषि विभाग में उप सचिव पद से हटाकर GAD पूल में बिना विभाग और बिना कार्य के अटैच कर दिया है.
संतोष वर्मा का बयान बना विवाद की जड़
23 नवंबर 2025 को भोपाल में AJAKS के प्रांतीय अधिवेशन में संतोष वर्मा ने कथित रूप से कहा था कि "एक परिवार में सिर्फ एक ही व्यक्ति को रिज़र्वेशन मिलना चाहिए, जब तक कि कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान न कर दे या रिश्ता न बना ले." इस बयान के बाद पूरे प्रदेश में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी और सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब मांगा था.
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