CPR Rescue Breaths: कहते हैं कि सही वक्त पर सही इलाज मिल जाए, तो किसी की जान आसानी से बचाई जा सकती है. कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुड़वारा रेलवे स्टेशन (Mudwara Railway Station) पर. यहां ट्रेन के इंतजार में एक शख्स रेलवे स्टेशन पर बैठा था. तभी अचानक उनके सीने में ताज दर्द शुरू हो गया. यह कोई आम दर्द नहीं था, बल्कि वह शख्स हार्टअटैक (Heart Attack) से पैदा हुई बेचैनी से छटपटा रहा था, तभी उन पर आरपीएफ (RPF) के जवान की नजर पड़ी. इसके बाद बाद वो फौरन वहां पहुंचे और हार्टअटैक से छटपटा रहे शख्स को सीपीआर देकर उनकी जान बचाई. आरपीएफ जवान की सक्रियता और मरीज को सीपीआर देकर जान बचाने का वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) पर तेजी से वायरल हो रहा है.
दरअसल, सागर जिले के रहने वाले 55 वर्षीय अशोक मिश्रा मुड़वारा स्टेशन के प्लेटफॉर्म नम्बर 3 पर अपनी गाड़ी के आने का इंतजार कर रहे थे. तभी उनके सीने में तेज दर्द उठ गया, जिससे वह कराहने लगे. मौके पर मौजूद आरपीएफ स्टाफ ने तुरंत यात्री को सीपीआर देकर उन्हें खतरे से बाहर निकाला. इसके बाद तुरंत उन्हें जिला अस्पताल भिजवाया गया. जहां डॉक्टरों ने उन्हें जांच के बाद अस्पताल में भर्ती कर इलाज शुरू किया.
पीड़ित का अस्पताल में चल रहा है इलाज
मामले पर मुड़वारा आरपीएफ थाना प्रभारी ओम प्रकाश गुर्जर ने बताया कि गणतंत्र दिवस को देखते हुए स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर जांच की जा रही थी. तभी एक यात्री प्लेटफार्म में लेते मिले. पूछताछ में पता चला कि उनके सीने में दर्द हो रहा था और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है. इतना सुनते ही आरपीएफ स्टाफ के साथ तुरंत उसे सीपीआर दी और बाद में उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां अभी उनका इलाज चल रहा है.
क्या होता है सीपीआर (What is CPR)
कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary resuscitation) एक जीवन रक्षक तकनीक है. किसी व्यक्ति की हृदय गति और सांस रुक जाने पर शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह जारी रखने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. सीपीआर आम तौर पर उन लोगों को दिया जाता है, जो बिजली का झटका लगने, पानी में डूबने या हार्टअटैक से मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाते हैं. आमतौर पर सीपीआर दो तरह से दी जाती है.
1. हाथ से छाती को दबा कर CPR
इस प्रक्रिया में तेजी से छाती पर तेजी के साथ दबाव डाला जाता है. यह प्रक्रिया बार-बार रिपीट की जाती है. यानी इस प्रक्रिया में बार-बार छाती को दबाया और छोड़ा जाता है. इसका लाभ ये होता है कि इससे शरीर में रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है.
2. सांसों के साथ सीपीआर
इस प्रक्रिया में पीड़ित के मुंह से मुंह की सांसों के साथ छाती के संकुचन को वैकल्पिक तरीके से बढ़ाया जाता है. इस प्रकार के सीपीआर की मदद से इलाज से पहले पहले महत्वपूर्ण क्षणों में शरीर को ऑक्सीजन की पूर्ति करने में सहायक होता है.
(नोट: सीपीआर देने के लिए ट्रेनिंग की भी आवश्यकता होती, क्योंकि उम्र के हिसाब से सीपीआर देने की प्रक्रिया में अंतर आ जाता है. नवजात का सीपीआर अलग होता और एक व्यस्क को सीपीआर अलग तरह से दिया जाता है. लिहाजा, इस पर अमल करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह और ट्रेनिंग अवश्य लें.)