Gwalior की इस होली से भगवान कृष्ण का क्या है कनेक्शन? जानें यहां के लोग क्यों खेलते हैं गोबर से Holi

Special Holi in Gwalior: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आदर्श गौशाला में लोग अनोखे अंदाज में होली मनाते हैं. यहां रंगों की जगह लोग गाय के गोबर को हौदा में घोलकर होली पर मस्ती करते हैं.

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गोबर के घोल से खेली जाती है होली

Herbal Holi: होली वैसे तो रंगों का त्योहार माना जाता है. लेकिन, ग्वालियर (Gwalior) जिले में होली पर लोग गोबर के घोल से होली (Cow Dung Holi) खेलते हुए नजर आते हैं. यहां पर स्थित सबसे बड़ी आदर्श गौशाला में लोग गोबर से अनोखी होली खेलते हैं. इस होली को खेलने के लिए दूर-दूर से गौ और कृष्ण भक्त यहां पहुंचते हैं. खास बात यह है कि यहां रंग का प्रयोग नहीं होता है, बल्कि गाय के गोबर से होली खेली जाती है. यह पूरी तरह से हर्बल गोबर (Herbal Cow Dung) होता है, जिसमें गंगाजल और सुगंधित इत्र का उपयोग होता है.

तीन दिन पहले शुरू होती है गोबर के घोल वाली होली

ग्वालियर की आदर्श गौशाला में इस अनूठी गोबर होली की शुरुआत होली से तीन दिन पहले ही हो जाती है. इसमें ग्वालियर-चंबल अंचल से होली खेलने वाले लोग और पर्यावरण प्रेमी आते हैं. यहां हौद में भरे गोबर के घोल से खूब मौज मस्ती के साथ होली खेलते हैं. गोबर के गंध को हटाने के लिए यहां सुगंधित इत्र का इस्तेमाल होता है.

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परम्परा की शुरुआत स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने की

होली खेलने वाले प्रेमियों का कहना है कि यह पूरी तरह से हर्बल होली होती है. यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है क्योंकि इसमें केमिकल का प्रयोग नहीं होता है. आजकल बाजारों में जो कलर आ रहे हैं उनमें केमिकल का उपयोग होता है, जिससे कई बार गंभीर बीमारियां हो जाती हैं. गौशाला से जुड़े साधु संत कहते हैं कि गोबर की होली की परम्परा की शुरुआत खुद भगवान श्रीकृष्ण ने की थी. 

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