जबलपुर की लॉ यूनिवर्सिटी का ऐतिहासिक फैसला, छात्राओं को मिलेगी मासिक धर्म की छुट्टी

धर्मशास्त्र विश्वविद्यालय में इस समय 652 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं जिसमें 350 छात्र एवं 304 छात्राएं अध्यनरत हैं. इन 304 छात्राओं की यह मांग निरंतर स्टूडेंट बार एसोसिएशन की ओर से आगे बढ़ाई जा रही थी कि उनकी मासिक धर्म की छुट्टी को छुट्टी ना माना जाए जिसे अब विश्वविद्यालय ने मान लिया है.

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जबलपुर की लॉ यूनिवर्सिटी का ऐतिहासिक फैसला

Jabalpur News : जबलपुर की धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (Dharma Shastra National Law University) ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. यहां पढ़ने वाली छात्राओं को मासिक धर्म (Menstruation) की छुट्टियां मिलेंगी. यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने अगस्त के महीने में शुरू हुए सेमेस्टर से छात्राओं को मासिक धर्म अवकाश देने का आदेश जारी कर दिया है. यह फैसला लेने के बाद यह मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की पहली लॉ यूनिवर्सिटी बन गई है जहां छात्राओं के स्वास्थ्य के मद्देनजर ऐसा फैसला लिया गया है. 

मासिक धर्म लड़कियों की सेहत और मानसिक स्थिति से जुड़ा हुआ विषय है. जबलपुर में धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की छात्राएं लंबे समय से मासिक धर्म के दौरान छात्राओं को छुट्टी दिए जाने की मांग उठा रही थीं, जिसके मद्देनजर यूनिवर्सिटी ने उनकी मांग को जायज मानते हुए वर्तमान सेमेस्टर से छात्राओं को मासिक धर्म अवकाश देने के आदेश जारी किए हैं. यह फैसला लेकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी मध्यप्रदेश की पहली यूनिवर्सिटी बन गई है, जिसने छात्राओं के हित में ऐसा कदम उठाया है. 

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केरल में लिया गया था फैसला
इससे पहले मार्च के महीने में केरल विश्वविद्यालय ने छात्राओं के हित में ऐसा आदेश जारी किया था. छात्राओं के लिए मासिक धर्म अवकाश और मातृत्व अवकाश का प्रावधान रखा गया था. मासिक धर्म अवकाश का प्रावधान रखने के बाद छात्राओं के लिए उपस्थिति की सीमा घटाकर 73 प्रतिशत कर दी गई थी. छात्राओं को 6 माह तक मातृत्व अवकाश का लाभ उठाने की भी छूट दी गई थी लेकिन इसे बीमारी की श्रेणी में रखा गया था जबकि मासिक धर्म कोई बीमारी नहीं या सामान्य प्रक्रिया है. 

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शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में मददगार
 

मासिक धर्म की छुट्टी न केवल छात्राओं के शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में मदद करेगी, बल्कि मासिक धर्म से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों को भी इसके जरिए दूर किया जा सकेगा.

प्राकृतिक जरूरतों को स्वीकार करके जो रूढ़ियों और वर्जनाओं को तोड़ा जा सकेगा. यह पहल समग्र शैक्षिक अनुभवों को भी बढ़ाएगी. सामान्यतः कॉलेज या यूनिवर्सिटीज में छात्र-छात्राएं न्यूनतम कॉलेज उपस्थित प्रतिशत तक छुट्टियां ले लेते हैं, लेकिन धर्मशास्त्र यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट की छुट्टियों को कुल वार्षिक प्राप्तांक से जोड़ा गया है, जिस छात्र-छात्रा की 70 से 80 प्रतिशत उपस्थिति होती है उसे 1 नंबर, 80 से 90 प्रतिशत उपस्थिति पर 2 नंबर और 90 से 100 प्रतिशत उपस्थिति पर 3 नंबर दिए जाते हैं.

स्टूडेंट्स के लिए क्या है नंबरों का महत्व?
वर्तमान में ये नंबर छात्रों के प्राप्त प्रतिशत को प्रभावित करते हैं. एक, दो नंबर से ही छात्रों के कुल प्रतिशत कम हो जाने से उनके भविष्य में उसका प्रभाव पड़ता है इसलिए छात्र छुट्टी नहीं लेना चाहते. 70 प्रतिशत से कम अंक वाले अब मध्य प्रदेश की सिविल जज परीक्षा में सीधे नहीं प्रवेश नहीं ले सकते. अगर प्राप्तांक 70 प्रतिशत से अंक कम होते हैं तो स्टूडेंट को 3 वर्ष तक एडवोकेट के रूप में प्रैक्टिस करना अनिवार्य होता है. उसी के बाद वह सिविल जज परीक्षा में प्रवेश ले सकते हैं इसलिए स्टूडेंट हर एक अंक के लिए परिश्रम करते हैं ताकि उनके प्रतिशत कम ना हो.

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क्या है नया नियम?
धर्मशास्त्र विश्वविद्यालय में इस समय 652 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं जिसमें 350 छात्र एवं 304 छात्राएं अध्यनरत हैं. इन 304 छात्राओं की यह मांग निरंतर स्टूडेंट बार एसोसिएशन की ओर से आगे बढ़ाई जा रही थी कि उनकी मासिक धर्म की छुट्टी को छुट्टी ना माना जाए जिसे अब विश्वविद्यालय ने मान लिया है. विश्वविद्यालय में यह प्रावधान है कि यदि कोई स्टूडेंट विश्वविद्यालय की किसी एक्टिविटी, खेल  या कार्यक्रम, अन्य कार्य में व्यस्त रहता है तब उसकी क्लास में अनुपस्थिति को जनरल मेकअप के रूप में दर्ज किया जाता है. अब  मासिक धर्म की एक सेमेस्टर में 6 दिन की छुट्टी को भी जनरल मेकअप के रूप में दर्ज किया जाएगा.