Hindi Diwas 2025: राष्ट्र के निर्माण में भाषाओं के योगदान पर केन्द्रित दो दिवसीय भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान का आयोजन 14-15 सितंबर 2025 को रवीन्द्र भवन, भोपाल में किया जा रहा है. अनुष्ठान का शुभारंभ माननीय उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा किया जायेगा. कार्यक्रम में पद्मश्री विष्णु पण्ड्या पूर्व अध्यक्ष, गुजरात साहित्य अकादमी, अहमदाबाद रहेंगे. यहां भारतीय मातृभाषाओं के महत्व को लेकर कई सत्रों में विचार विमर्श एवं संवाद होंगे. इस अवसर पर प्रदर्शनियों का शुभारंभ भी होगा. इस कार्यक्रम में खड़ी बोली हिन्दी में अवधी, ब्रज, भोजपुरी, मैथिली, बुंदेली, मालवी, छत्तीसगढ़ी व बघेली तथा कन्नड़, मलयालम, तेलुगु, बांग्ला, तमिल और हिन्दी का अंतरसंबंध, भाषा और संचार प्रौद्योगिकी, हिन्दी साहित्य और प्रौद्योगिकी, नाटक और सिनेमा की भाषा, नृत्य और संगीत की भाषा, जनजातीय एवं धूमंतु भाषा-संचार, राष्ट्र की प्राणधारा लोकभाषाएँ जैसे विविध विषयों पर केन्द्रित वैचारिक समागम में देश-प्रदेश के भारतीय भाषाओं के विशेषज्ञ-विद्वान सम्मिलित होंगे.
राष्ट्रीय अलंकरण समारोह में मुख्यमंत्री करेंगे सम्मान
विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में हिन्दी के योगदान के लिए स्थापित बहुविध राष्ट्रीय अलंकरण समारोह का आयोजन 15 सितंबर 2025 को सायं 5:00 बजे होगा. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव होंगे. इस अवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मान अलंकरण से विभूषित देश के अग्रणी मनीषियों को माननीय मुख्यमंत्री द्वारा सम्माानित किया जायेगा. कार्यक्रम में संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र सिंह लोधी करेंगे. इस मौके पर विविध प्रकाशनों का लोकार्पण एवं स्वदेशी जागरण अंतर्गत देश हित में द सूत्र का अभियान Be इंडियन, Buy इंडियन, हमारी-लक्ष्मी -हमारे पास का शुभारंभ भी होगा.
मुख्यमंत्री को सौंपा जायेगा गोल्ड अवार्ड
महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा आयोजित विक्रमोत्सव 2025 को एशिया के शासकीय समारोह की विशेष श्रेणी में गोल्ड अवार्ड WOW अवार्ड एशिया की टीम द्वारा माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को यह सम्मान भेंट किया जायेगा.
भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान संस्कृति संचालनालय, वीर भारत न्यास, स्वराज संस्थान संचालनालय, माधवराव सप्रे समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान द्वारा भारत भवन, साहित्य अकादमी, मराठी साहित्य अकादमी, सिन्धी अकादमी, भोजपुरी अकादमी, उर्दू अकादमी, पंजाबी अकादमी, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, निराला सृजनपीठ, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, एलएनसीटी विश्वाविद्यालय, जागरण लेकसिटी विश्वाविद्यालय, सेज विश्व विद्यालय, सैम ग्लोबल विश्वविद्यालय, मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय, रबीन्द्र नाथ टैगोर विश्वाविद्यालय की सहभागिता में आयोजित किया जा रहा है.
वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी ने कहा कि भाषाएँ किसी भी राष्ट्र की आत्मा और निर्माता होती हैं. भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में भाषाओं की भूमिका केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और ज्ञान की धरोहर भी हैं. राष्ट्र निर्माण में भाषाएँ वह सूत्र हैं जो समाज के विभिन्न वर्गों, प्रांतों और पीढ़ियों को एक साथ जोड़ती हैं. उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि हम भारतीय भाषाओं के अध्ययन, लेखन, शोध और व्यवहार को प्रोत्साहित करें ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी सांस्कृतिक अस्मिता के साथ गर्वपूर्वक आगे बढ़ें. भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन ही आत्मनिर्भर, सशक्त और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र निर्माण का आधार है.
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