Madhya Pradesh News: भोपाल गैस त्रासदी के संबंध में शीर्ष कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के परिपालन में बरती गई कोताही के बाद अवमानना याचिका पर सजा सुनाए जाने पर अब 19 फरवरी को सुनवाई होगी. बता दें कि इस अवमानना मामले में जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की डबल बेंच ने अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के दो अधिकारियों और तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस समेत 9 अधिकारियों को दोषी करार दिया था.
अधिकारियों ने की थी अदालत से दरख्वास्त
16 जनवरी को इन अधिकारियों को सजा सुनाई जानी थी लेकिन इससे पहले राज्य सरकार और केंद्र के अधिकारियों ने सजा सुनाए जाने से पहले उनका पक्ष सुनने की दरख्वास्त अदालत से की. जिसके बाद बुधवार को अदालत ने तय किया कि सजा से पहले वह उक्त अधिकारियों का पक्ष सुनेगी. जिसके बाद मामले को 19 फरवरी के लिए नियत किया गया है.
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जानिए क्या था पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन समेत अन्य की याचिका की सुनवाई की थी. गैस पीड़ितों के इलाज और पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश दिए थे. इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे. इस कमेटी को हर 3 महीने में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के सामने पेश करने को कहा गया था. साथ ही रिपोर्ट के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाने थे. मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं पर कोई काम नहीं होने का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दाखिल की थी. सरकारी अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है.
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