पुलिस थानों में अवैध मंदिर निर्माण को लेकर मोहन सरकार को MP हाई कोर्ट का फटकार, 7 दिन में मांगा जवाब

MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि थानों में हो रहे किसी भी नए निर्माण कार्य पर तुरंत रोक लगाई जाए. साथ ही सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वो यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसे निर्माण न हो.

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MP News in Hindi: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस थानों के अंदर अवैध मंदिर निर्माण के मामले में मोहन सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि ऐसे धार्मिक स्थलों का निर्माण किस आदेश और नियम के तहत किया गया है. सरकार को प्रदेशभर के थानों में बने मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों की सूची 2 सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है. साथ ही कोर्ट ने सरकार को चेतावनी दी है कि 7 दिनों में जवाब पेश किया जाए. हालांकि अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2025 को होगी.

याचिका में क्या कहा गया है?

जबलपुर निवासी अधिवक्ता ओपी यादव की ओर से दायर याचिका में जबलपुर के सिविल लाइंस, विजय नगर, मदन महल, और लॉर्डगंज थानों के परिसरों में अवैध मंदिर निर्माण का उल्लेख किया गया है. याचिका में मांग की गई है कि इन अवैध निर्माणों को हटाया जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सिविल सर्विस रूल्स के तहत कार्रवाई की जाए. याचिकाकर्ता के वकील सतीश वर्मा ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक भूमि पर अवैध धार्मिक स्थलों के निर्माण पर रोक के स्पष्ट आदेश दिए हैं. इसके बावजूद प्रदेशभर में कई पुलिस थानों के अंदर अवैध मंदिर बनाए जा रहे हैं.

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हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश

कोर्ट ने अंतरिम आदेश में स्पष्ट किया कि थानों में हो रहे किसी भी नए निर्माण कार्य पर तुरंत रोक लगाई जाए. साथ ही सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वो यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसे निर्माण न हो.

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विश्व हिंदू महासंघ ने दी चुनौती

विश्व हिंदू महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष लीगल सेल ने मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर की है. महासंघ का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल विशेष अधिनियम 1991 को चुनौती दी गई है, इसलिए हाईकोर्ट को इस मामले में किसी भी आदेश या निर्देश से बचना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने इस हस्तक्षेप याचिका को नहीं सुना और सरकार को जवाब पेश करने के लिए आदेश दिया है.

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कोर्ट ने सरकार को लगाया फटकार

हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल किया है कि क्या पुलिस विभाग के पास मंदिर निर्माण की अनुमति है. कोर्ट ने पूछा कि ऐसे निर्माण कब और किन परिस्थितियों में हुए. यह मामला धार्मिक स्थलों के अवैध निर्माण और प्रशासनिक आदेशों के पालन की गंभीरता को लेकर प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गया है.

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