बहुचर्चित सेंट टेरेसा जमीन घोटाले में आया नया मोड़, हाईकोर्ट ने FIR शून्य करने के दिए आदेश 

St Teresa Land Scam: मध्य प्रदेश के धार से बहुचर्चित सेंट टेरेसा जमीन घोटाले में बड़ा अपडेट सामने आया है. एमपी हाईकोर्ट ने एफआईआर शून्य करने के आदेश दिए हैं. जानें क्या था ये पूरा मामला.

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MP News In Hindi: मध्य प्रदेश में सुर्खियों में रहे धार के 247 करोड़ के सेंट टेरेसा जमीन घोटाले के मामले में नया मोड़ आ गया. पूरे मामले में पुलिस की जमकर किरकिरी हुई है. एमपी हाई कोर्ट ने बुधवार को पूरे मामले को शून्य करने का आदेश देते हुए तत्काल धार कलेक्टर डॉ. पंकज जैन एसपी आदित्य प्रताप सिंह मामले की जांच अधिकारी डीएसपी यशस्वी शिंदे पर पचास हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

जानें क्यों चर्चा में रहा ये घोटाला

दरअसल महू के निवासी जयसिंह ठाकुर ने धार के मगजपुरा स्थित सेंट टेरेसा स्कूल की जमीन को सरकारी लीज की जमीन बताते हुए इसे खुर्द बुर्द कर बेचने की शिकायत की थी, जिस तत्कालीन डीएसपी यशस्वी शिंदे ने जांच कर 27 लोगों को आरोपी बनाया था.

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ये थी अनुमानित कीमत

28 नवंबर 2021 को पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर शहर के कई प्रतिष्ठित लोगों को गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने कई वृद्ध महिलाओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जमीन की अनुमानित कीमत 247 करोड़ से अधिक बताई गई थी, जिससे प्रदेश भर में हड़कंप मचा गया था. वहीं, ईडी ने भी इस मामले में दखल दिया था.

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खरीदी बिक्री निर्माण पर रोक के आदेश भी रद्द

मामले में आरोपी बनाई गई आयुषी जैन और सरिता जैन ने हाईकोर्ट की शरण ली, जहां हाईकोर्ट के सामने कई तथ्य रखे गए, जिस पर कोर्ट ने माना कि यह विधि विरुद्ध कार्रवाई की गई. इस मामले ने प्रकरण और अन्य सभी दंडात्मक कार्रवाई को शून्य माना है, निर्माण संबंधी खरीदी बिक्री पर रोक के कलेक्टर द्वारा पारित आदेश को अवैधानिक घोषित कर दिया. कोर्ट ने जमीन व भवन की खरीद बिक्री निर्माण पर कलेक्टर द्वारा लगाए गए रोक के आदेश को भी रद्द कर दिया.

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कोर्ट ने कहा पुलिस को ये तय करने का अधिकार नहीं 

याचिकाकर्ता के वकील ईशान तिवारी के अनुसार इस जमीन पर सरकारी विभाग द्वारा जारी की गई. सारी वैध अनुमतियां थी, लेकिन पुलिस ने फिर भी जमीन को सरकारी बता दिया न्यायालय ने आदेश में लिखा है कि भवन तमाम अनुमतियां लेकर बनाए गए. आयुषी सुधीर जैन और सरिता जैन के पक्ष में स्टे होने के बावजूद प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की गई. उच्च न्यायालय ने ठहराया कई सिविल कोर्ट के निर्णय बिल्डिंग परमिशन नजूल अनापत्ति डायवर्सन आदेश भूमि स्वामी के पक्ष में होने के बावजूद कार्रवाई की गई. आपराधिक प्रकरण बना दिया गया पुलिस भूमि के स्वत्व की जांच नहीं कर सकती है. 

कलेक्टर, एसपी, डीएसपी पर ठोंका जुर्माना 

हाई कोर्ट ने पूरे मामले में तत्कालीन कलेक्टर डॉ. पंकज जैन तत्कालीन एसपी आदित्यप्रताप सिंह डीएसपी यशस्वी शिंदे पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिकाकर्ता को हर्जाना देने का आदेश दिया. कोर्ट ने तत्कालीन एसपी और डीएसपी के कृत्य को निंदनीय बताया है दोषी. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने गिरफ्तारी के बाद धार पुलिस की पीठ थपथपाई थी.

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 कई प्रतिष्ठित परिवारों को किया टारगेट

याचिकाकर्ता के वकील ईशान तिवारी ने बताया कि मामले में शुरुआत से कोई दम नहीं था, महू के जयसिंह ठाकुर ने शिकायत की थी, ये खुद अपराधी किस्म का व्यक्ति होने के बाद भी पुलिस ने इसकी शिकायत पर भरोसा करके प्रतिष्ठित व्यक्तियों को जेल में डाल दिया. इतना ही नहीं पुलिस ने वृद्ध महिलाओं को भी सलाखों के पीछे कर दिया था. महू के किशनगंज थाने से जानकारी के अनुसार जयसिंह पर लगभग 10 प्रकरण कायम हैं, कई नामचीन व्यक्तियों की प्रतिष्ठा एक अपराधी की शिकायत पर धूमिल हो गई थी.

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