Ujjain: 251 लीटर दूध से मां गज लक्ष्मी का अभिषेक, हाथी अष्टमी पर गजलक्ष्मी मंदिर में पहुंचे श्रद्धालु

Hathi Ashtami 2025: मां गजलक्ष्मी की यह प्रतिमा लगभग 2000 वर्ष पुरानी है. प्रतिमा एक ही पाषाण पर स्फटिक से निर्मित है, जिसमें मां गजलक्ष्मी ऐरावत हाथी पर पद्मासन मुद्रा में विराजित हैं. यह दुर्लभ प्रतिमा समुद्री पाषान स्पेटीक की है.

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Maa Gajlakshmi temple Ujjain: श्राद्ध पक्ष की अष्टमी के मौके पर रविवार को हाथी अष्टमी पर्व के रूप में मनाई. इस खास  मौके पर मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित गज लक्ष्मी मंदिर पर दुग्धाभिषेक किया गया. वहीं घरों में लोगों ने महालक्ष्मी का पूजन किया. यह व्रत 16 दिन का होता है. राधा अष्टमी से प्रारंभ होकर हाथी अष्टमी पर पूर्ण किया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन मां लक्ष्मी का पूजन करने से घरों में लक्ष्मी माता का स्थायी वास होता है.

251 लीटर दूध से मां लक्ष्मी का किया गया दुग्धाभिषेक

नई पेठ स्थित प्राचीन गजलक्ष्मी मंदिर में आज सुबह 9 से  मंत्रोच्चार से शूरू हुआ जो 11 बजे तक चला. यहां श्रद्धालुओं ने 251 लीटर दूध की धारा से माता का अभिषेक किया. इसके बाद माताजी का श्रृंगार किया. दोपहर 12 बजे महाआरती का आयोजन किया गया. वहीं आज शाम 5 से 9 बजे तक भजन कार्यक्रम के बाद रात में भक्तों को खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा.

मंदिर के पुजारी सागर शर्मा के अनुसार मां गजलक्ष्मी की यह प्रतिमा लगभग 2000 वर्ष पुरानी है. प्रतिमा एक ही पाषाण पर स्फटिक से निर्मित है, जिसमें मां गजलक्ष्मी ऐरावत हाथी पर पद्मासन मुद्रा में विराजित हैं. यह दुर्लभ प्रतिमा समुद्री पाषान स्पेटीक की है. पास भगवान विष्णु की दशाअवतार की काले पाषाण की प्रतिमा है.

महिलाएं करती हैं हाथी की पूजा

मान्यता है कि हाथी अष्टमी का विशेष महत्व है. इस दिन गजलक्ष्मी की पूजा से रूठी हुई लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. यह व्रत राधा अष्टमी से प्रारंभ होकर हाथी अष्टमी तक होता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर शाम को घर में मिट्टी के हाथी की पूजा करती हैं. इससे घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है.

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राजा विक्रमादित्य ने की थी स्थापना 

मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपने राज्य को सुख सम्पन्न बनाने के लिए साधना, तप कर मां गजलक्ष्मी का आवाहन किया था. तब मां लक्ष्मी ने सफेद एरावत हाथी पर आकर कर दर्शन दिए थे. मां लक्ष्मी द्वारा वर मांगने पर विक्रमादित्य ने कहा था कि मां गजलक्ष्मी आप मेरी इस नगरी में सदा के लिए वास करे जिससे मेरी नगरी हमेशा धन धान्य से परिपूर्ण रहें. प्रार्थना सुन मां गजलक्ष्मी ने नगर के मध्य में वास का वरदान दिया. जिसके बाद विक्रमादित्य ने करीब दो हजार साल पहले गजलक्ष्मी प्रतिमा की स्थापना की थी. वहीं द्वापर युग में कुंती ने अपने राज्य को स्थाई रखने के लिए 16 दिन उपवास कर गजलक्ष्मी की पूजा की थी.

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