मध्य प्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रणीत राठौर की जर्मनी के म्यूनिख मे मौत हो गई. 14 अगस्त को हुई मौत के बाद से परिवार मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शव के इंतजार में हैं. बेटे का शव भेजने के लिए प्रणीत की कंपनी का प्रशासन व स्थानीय अधिकारी मदद नहीं कर रहे हैं. वहीं शव को भारत मंगवाने के लिए 2 केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान तक से गुहार लगा चुके हैं. इतना ही नहीं बेटे का शव मंगवाने के लिए विदेश मंत्रालय को भी ट्वीट कर चुके है, लेकिन अब तक कहीं से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.
तीन साल से म्यूनिख में था प्रणीतदरअसल, ग्वालियर के ललितपुर कॉलोनी के निवासी बाबू सिंह राठौर का बेटा प्रणीत राठौर प्राइवेट कंपनी इएसएसटीटीआई में जॉब करता था. वहीं तीन साल पहले वह जर्मनी के म्यूनिख शहर में पोस्टेड हुआ, तभी से वहां कार्यरत थे.
मर्चरी में रखा है शव
मृतक प्रणीत राठौर का पिता बाबू सिंह ने एनडीटीवी को बताया कि बीते 13 अगस्त की रात वह जॉब से घर लौटा और डिनर करने के बाद सो गया. सुबह जब वह नहीं जागा तो उसकी पत्नी ने जगाया, लेकिन प्रणीत उठ नहीं सका. जब डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि प्रणीत की मौत हो चुकी है. इसके बाद वहां अस्पताल वालों ने उसके शव को मर्चरी में रखवा दिया तब से वह वहीं रखा हुआ है.
मृतक प्रणित के पिता बाबू सिंह राठौर ने आगे बताया कि पिछले 4 दिनों से उन्होंने अपने बेटे के शव को गृह नगर ग्वालियर लाने के लिए हर संभव प्रयास किया है.
पीएमओ ऑफिस से लेकर विदेश मंत्रालय तक... लगा चुके गुहार
बाबू सिंह राठौर की बहू नीलम राठौर और 7 वर्षीय बच्चा भी म्यूनिख शहर में ही हैं जो कि अब पूरी तरह से अकेले पड़ चुके हैं. हालांकि वो इस संबंध में पीएमओ ऑफिस, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी ट्वीट कर मदद मांगी है और पत्र भी लिखे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई है.
रीति-रिवाज के साथ अपने बेटे का अंतिम संस्कार करना चाहते हैं पिता
राठौर का कहना है कि जवान बेटे के जाने के बाद पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट चुका है. सब चाहते हैं कि उसके अंतिम दर्शन कर उसे अंतिम विदाई दें, लेकिन अंतिम संस्कार में हो रही देरी के कारण पूरा परिवार परेशान है और दुःखी है. जिसके कारण उन्होंने एक निजी एजेंसी की भी मदद ली है, जिससे बेटे की मृत देह को जल्द से जल्द अपने गृह नगर लाकर पूरे रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया जा सके. उससे दस हजार में बात भी हो गई थी, लेकिन बाद में उसने भी मना कर दिया. बाबू सिंह ने गुहार लगाते हुए कहा कि सरकार उनके बेटे का शव भारत लाने में मानवीय रूप दिखाते हुए मदद करें.