ग्वालियर रेलवे स्टेशन की पार्किंग नशे के कारोबार का अड्डा बन चुकी है. इस बात का खुलासा खुद एक संवैधानिक संस्था CWC (बाल कल्याण समिति) की टीम ने एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए किया है. CWC को सूचना मिली थी कि स्टेशन की पार्किंग में वर्षों से खड़ी एक स्कॉर्पियो गाड़ी से नाबालिग और किशोरों को नशीला पदार्थ सुलोचन बेचा जा रहा है. सीडब्ल्यूसी कमेटी ने जाल बिछाकर यहां से नशा खरीदवाया और फिर जीआरपी को बुलाया. इस दौरान GRP ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया, लेकिन अब तक FIR दर्ज नहीं हो सकी है.
दरअसल, ग्वालियर रेलवे स्टेशन की पार्किंग में बीते करीब आठ साल से संदिग्ध हालत में काले रंग की एक लावारिस स्कॉर्पियो गाड़ी खड़ी है. यह गाड़ी अब कबाड़ में तब्दील हो चुकी है. इसी गाड़ी से नशे के सौदागरों द्वारा सुलोचन बेचे जाने की सूचना मिलने पर CWC की कमेटी ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की. पहले एक बच्चे को पकड़ा गया, फिर उसी बच्चे को दोबारा खरीददार बनाकर स्टिंग किया गया. इसके बाद CWC की टीम ने इस गंदे धंधे का खुलासा किया.
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एक आरोपी को रंगे हाथों पकड़ा
CWC की शिकायत पर GRP ने मौके से एक आरोपी को रंगे हाथों पकड़ लिया, लेकिन इसके बावजूद केस दर्ज नहीं किया गया. GRP थाना प्रभारी जितेंद्र चंदेलिया का कहना है कि CWC के लिखित पत्र मिलने के बाद ही केस दर्ज किया जाएगा, क्योंकि जो नशा बेचा जा रहा था वह सुलोचन है, जो NDPS या नारकोटिक्स विभाग की नशीले पदार्थों की सूची में शामिल नहीं है.
अब तक कोई कार्रवाई नहीं
उधर, पार्किंग ठेकेदार का कहना है कि पार्किंग में नशा बेचे जाने की खबर गलत है. उसका दावा है कि स्टेशन परिसर में बाहर से लोग नशा बेचते हैं और कई संदिग्ध महिलाएं भी वहां घूमती रहती हैं. ठेकेदार के अनुसार उसने साल 2022 में पार्किंग का ठेका लिया था, जबकि स्कॉर्पियो गाड़ी साल 2017 से पार्किंग में खड़ी है. इस संबंध में उसने कई बार रेलवे और GRP को लिखित शिकायत दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सुलोचन शराब से भी ज्यादा घातक
यह भी सभी को पता है कि रेलवे स्टेशन की पार्किंग में जो सुलोचन बेचा जा रहा है, उसे स्टेशन परिसर में कचरा बीनने वाले और निराश्रित नाबालिग व किशोर खरीदते हैं और नशे के लिए इस्तेमाल करते हैं. सुलोचन एक ऐसा पदार्थ है, जिसका उपयोग रबर और ट्यूब के पंचर जोड़ने में किया जाता है. इसमें एल्कोहल की मात्रा काफी अधिक होती है, इसलिए सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने के कारण किशोर इसे सूंघकर नशा करते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि सुलोचन शराब से भी ज्यादा घातक होता है. इसके सेवन से उपयोग करने वाले की श्वास नली, लीवर और किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचता है.