Guru Nanak Jayanti 2025: पेड़ के नीचे ज्ञान, 500 साल पुराने निशान, कहानी उन गुरुद्वारों की जिनका है नानक जी से नाता

Guru Nanak Jayanti 2025 यानी Prakash Parv इस साल 5 नवंबर को मनाई जाएगी. यह सिख धर्म के संस्थापक Guru Nanak Dev Ji की 556वीं जयंती होगी. मध्य प्रदेश में भी कई Historical Gurdwaras हैं जिनका नाता नानक जी से है- जैसे Imli Sahib Gurdwara (Indore), Tekri Sahib (Bhopal) और Rajghat Sahib (Burhanpur). इन जगहों पर उन्होंने Spiritual Teachings, Kirtan और Langar Seva से लोगों को सेवा, समानता और सच्चाई का संदेश दिया, जो आज भी सिख परंपरा की आत्मा है.

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गुरु नानक जयंती यानी सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जन्म वर्षगांठ का वो दिन जब देशभर के गुरुद्वारे रोशनी, सेवा और श्रद्धा से जगमगा उठते हैं. हर जगह उनके उपदेशों की गूंज सुनाई देती है-  'नाम जपो, किरत करो, वंड छको'. इसका अर्थ है- भगवान का नाम स्मरण करो, ईमानदारी से काम करो और दूसरों के साथ बांटकर खाओ.  

इस बार गुरु नानक देव जी की जयंती 5 नवंबर को मनाई जाएगी. यह गुरु नानक जी की 556वां जन्मोत्सव होगा. 15 अप्रैल 1469 को गुरु नानक देव जी का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित चलवंडी गांव में हुआ था. अब इस जगह को सिख समाज के अत्यंत पवित्र तीर्थ ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. गुरु नानक देव जी का आध्यात्मिक और सामाजिक सुधार संदेश उस दौर में खूब फैला. आज का मध्य प्रदेश भी इससे अधूता नहीं है. यहां ऐसे कई गुरुद्वारे हैं जिनका नाता गुरु नानक देव जी है. आइए, उनके बारे में जानते हैं...     

Guru Nanak Jayanti 2025: गुरुद्वारा इमली साहिब इंदौर

गुरुद्वारा इमली साहिब, इंदौर 

करीब 508 साल पहले, वर्ष 1517 में सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी अपनी दूसरी उदासी (जनकल्याण यात्रा) के दौरान इंदौर आए थे. कान्ह नदी के किनारे एक इमली के पेड़ के नीचे बैठकर उन्होंने भाई मर्दाना के साथ ‘धुर की बाणी' का गायन किया और लोगों को सच से जुड़ने का संदेश दिया. यही स्थान आगे चलकर गुरुद्वारा इमली साहिब बना.
1942 में यह गुरुद्वारा रजिस्टर्ड हुआ.  शुरुआत में इसकी सेवा उदासी मत के लोगों के पास थी, बाद में होलकर स्टेट में आई पंजाब की फौज ने इसकी व्यवस्था संभाली. यहां आज भी 24 घंटे लंगर सेवा चलती है और रोज 1000 से ज्यादा श्रद्धालु मत्था टेकने आते हैं. रात 2 बजे श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश होता है और 9 बजे सुख आसन किया जाता है। इमली का वह ऐतिहासिक पेड़, जिसके नीचे गुरु जी बैठे थे, अब जमीन से करीब 15 फीट नीचे है. उसके दर्शन के लिए गुरुद्वारे के पिछले दरवाजे से नीचे उतरना पड़ता है.

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गुरुद्वारा बेटमा साहिब, इंदौर

इंदौर जिले के छोटे से कस्बे बेटमा में बना गुरुद्वारा बेटमा साहिब सिख इतिहास में खास जगह रखता है. गुरु नानक देव जी अपनी दूसरी उदासी यात्रा के दौरान यहां आए थे और करीब छह महीने तक रुके थे. इस दौरान उन्होंने लोगों को आध्यात्मिक और समाजिक शिक्षा दी,  भेदभाव मिटाने और सभी को बराबर मानने की सीख दी. यह गुरुद्वारा बहुत ही भव्य है, जहां रोजाना कीर्तन और लंगर चलता है. गुरुपर्व और अन्य अवसरों पर यहां हजारों लोग आते हैं.

Guru Nanak Jayanti 2025: भोपाल का टेकरी साहिब गुरुद्वारा.

गुरुद्वारा टेकरी साहिब, भोपाल

भोपाल की ईदगाह हिल्स की ऊंचाई पर बना गुरुद्वारा टेकरी साहिब ऐतिहासिक है. कहा जाता है कि गुरु नानक देव जी सैकड़ों साल पहले यहां आए थे. जिस  पत्थर की शिला पर वे खड़े हुए वो पैरों के निशान आज भी सुरक्षित हैं, जिन्हें श्रद्धालु पवित्र मानते हैं. माना जाता है कि गुरु नानक देव जी ने यहां कुष्ठ रोगी का इलाज किया था. गुरु नानक जयंती (प्रकाश पर्व) पर यहां विशेष आयोजन होते हैं, इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. आम दिनों में भी यहां अधिक संख्या में पहुंचते हैं.

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गुरुद्वारा राजघाट साहिब, बुरहानपुर

बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे बना गुरुद्वारा राजघाट साहिब जिसे गुरुद्वारा राजघाट संगत पहली पातशाही ने नाम से जाता है, सिखों का पवित्र स्थान है. यह गुरुद्वारा सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी और दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के चरण स्पर्श से पवित्र हुआ है. गुरु नानक जी अपनी दक्षिण भारत की यात्रा (तीसरी उदासी) के दौरान यहां आए थे और भक्त जीवन दास को आध्यात्मिक शिक्षा दी थी. इसके बाद 1708 में बहादुर शाह के साथ अपनी यात्रा के दौरान सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद जी भी यहां आए थे. 

Guru Nanak Jayanti 2025: उज्जैन गुरुद्वारा श्री नानक घाट साहिब.

गुरुद्वारा श्री नानक घाट साहिब, उज्जैन

उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे बना गुरुद्वारा श्री नानक घाट साहिब भी गुरु नानक देव जी की यात्रा से जुड़ा है. कहा जाता है कि दूसरी उदासी (यात्रा) के दौरान 15वीं शताब्दी में गुरु जी यहां आए थे. यहां उन्होंने भाई मर्दाना जी के साथ कुछ दिन बिताए और लोगों को ईमानदारी और सेवा का महत्व समझाया था. यहां हर रोज शब्द कीर्तन होता है और लंगर चलता है. गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं.

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 गुरुद्वारा ओंकारेश्वर साहिब, ओंकारेश्वर (खंडवा)

नर्मदा नदी के तट पर स्थित ये गुरुद्वारा एक ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है, जहां गुरु नानक देव जी ने अपनी दूसरी उदासी (यात्रा) के दौरान आए थे. कहा जाता है कि गुरु नानक जी ने यहां के पंडितों के साथ धार्मिक चर्चा की थी. इस संवाद से निकली बानी को 'दखनी ओंकार' कहा जाता है, जिसका उल्लेख श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अंग 929 में किया गया है.

Guru Nanak Jayanti 2025: कब है, क्यों मनाई जाती है, सब जानिए

सिख धर्म का सबसे प्रमुख पर्व गुरु नानक जयंती इस साल 5 नवंबर (बुधवार) को मनाई जाएगी. यह गुरु नानक देव जी की 556वीं जन्म जयंती होगी. सिख धर्म में इसे ‘गुरुपरब' या ‘प्रकाश पर्व' कहा जाता है. यह पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. यह पर्व सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गुरुद्वारों में अखंड पाठ, कीर्तन दरबार, प्रवचन और लंगर सेवा होती है. श्रद्धालु शोभायात्रा निकालते हैं.

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