
Government Women Civil Hospital Alot: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से स्वास्थ्य सेवाओं की एक शर्मनाक खबर सामने आई है. रतलाम जिले के आलोट से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने पूरे स्वास्थ्य तंत्र की संवेदनहीनता को बेनकाब कर दिया है. दरअसल, आलोट के सरकारी महिला सिविल अस्पताल में एक गर्भवती को भर्ती करने के बाद रतलाम रेफर करने की बात कहते हुए बाहर निकाल दिया. इस दौरान, परिजन उसे ले जा पाते, उससे पहले ही महिला ने अस्पताल के वेटिंग एरिया में ही बच्चे को जन्म दे दिया.
दर्द में तड़पती रही प्रसूता ने वेटिंग एरिया में दिया बच्चे को जन्म
जानकारी के मुताबिक पाल नगरा निवासी विक्रम बागरी की पत्नी बाली बागरी को प्रसव पीड़ा के चलते रविवार को महिला सिविल अस्पताल आलोट लाया गया. जहां अस्पताल में मौजूद डॉक्टर और नर्स ने पहले तो महिला को भर्ती कर लिया, लेकिन कुछ देर बाद यह कहते हुए बाहर कर दिया कि प्रसव में देरी है, इसलिए उसे रतलाम ले जाओ. इस बीच जब प्रसूता प्रतीक्षालय में कुर्सी पर बैठी थी, तभी उसे तेज दर्द शुरू हो गया और फिर उसने वहीं पर बच्चे को जन्म दे दिया. मौके पर मौजूद नर्सिंग ऑफिसर नेहा वैध ने प्रसव कराया, लेकिन यह पूरा घटनाक्रम अस्पताल स्टाफ की लापरवाही और संवेदनशीलता को उजागर कर दिया है.
सफाईकर्मी ने मांगे एक हजार रुपये
पहले तो गर्भवती को अस्पताल से निकाल दिया. इसके बाद जब उसने प्रतिक्षा एरिया में बच्चे को जन्म दिया, तो सफाई कर्मी सफाई के लिए पैसे मांगने लगा. प्रसूता बाली बागरी ने बताया कि डिलीवरी के बाद अस्पताल के सफाईकर्मी ने उससे एक हजार रुपये की मांग की. यह आरोप अस्पताल की कार्यशैली पर और भी गंभीर सवाल खड़े करता है.
कलेक्टर मीशा सिंह ने लिया संज्ञान
मामले की जानकारी मिलते ही रतलाम कलेक्टर मीशा सिंह ने तत्काल संज्ञान लिया और घटना को गंभीरता से लेते हुए अस्पताल प्रशासन से जवाब तलब किया. कलेक्टर ने जिम्मेदार डॉक्टर और स्टाफ को तीन दिनों में कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया है. कलेक्टर ने कहा कि अस्पताल में इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है. इस घटना की विस्तृत जांच कराई जा रही है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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सवालों के घेरे में स्वास्थ्य व्यवस्था
यह घटना न केवल आलोट, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है. लाख दावे और योजनाओं के बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है, जहां एक प्रसूता को अस्पताल के अंदर नहीं, बल्कि वेटिंग एरिया में बच्चे को जन्म देना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर अस्पताल स्टाफ समय रहते जिम्मेदारी निभाता, तो यह स्थिति नहीं बनती.
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