Mahatma Gandhi Jayanti 2024: जबलपुर में इतनी बार आए थे गांधी, जानिए उनकी यात्राएं

Gandhi Jayanti 2024: महात्मा गांधी ने देश में कई जगहों की यात्राएं की थीं. उनकी सभी यात्राएं अमर हैं. आज हम आपको राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुई उनकी यात्राओं के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.

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Mahatma Gandhi Biography: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) विशेषकर जबलपुर (Jabalpur) से गहरा नाता था. गांधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान चार बार जबलपुर की यात्रा की और उनके साथ कई महत्वपूर्ण घटनाएं जुड़ी हुई हैं. उनकी अस्थियां भी जबलपुर के नर्मदा (Narmada River) तट पर विसर्जित की गई थीं, जो इस क्षेत्र से उनके संबंध को और भी गहरा बनाती हैं. महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई थी और उनकी इच्छा थी कि उनकी अस्थियां नर्मदा नदी में प्रवाहित की जाएं. इसी के अनुरूप उनकी अस्थियों को जबलपुर लाया गया और 12 फरवरी 1948 को तिलवारा घाट पर नर्मदा नदी में विसर्जित किया गया. इस अवसर पर हजारों लोग दूर-दूर से महात्मा गांधी को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए आए थे. कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कभी गांधीजी को देखा नहीं था, लेकिन उनके त्याग और तपस्या की कहानियां सुन रखी थीं.

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गांधीजी की जबलपुर यात्राएं

महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जबलपुर की चार बार यात्रा की, जिनमें से प्रत्येक यात्रा का स्वतंत्रता आंदोलन और सामाजिक सुधारों में महत्वपूर्ण योगदान रहा.

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Gandhi Jayanti 2024: गांधी जी की जबलपुर यात्रा

  • पहली यात्रा (20 मार्च 1921) : गांधीजी जबलपुर पहली बार असहयोग आंदोलन के दौरान आए थे. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य स्वराज कोष के लिए धन एकत्र करना और असहयोग आंदोलन को विस्तार देना था. इस दौरान उन्होंने गोल बाजार में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया और खजांची चौक स्थित श्याम भार्गव के घर पर रुके.
  • दूसरी यात्रा (3 दिसंबर 1933): गांधीजी ने हरिजनोद्धार यात्रा के अंतर्गत नागपुर से यह यात्रा आरंभ की. इस यात्रा में उन्होंने छिंदवाड़ा, बैतूल, और नरसिंहपुर होते हुए जबलपुर का दौरा किया. हालांकि इस यात्रा के दौरान उनकी तबीयत खराब थी, फिर भी उन्होंने अपने सभी कार्यक्रम जारी रखे. यह यात्रा हरिजनों के उत्थान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है.
  • तीसरी यात्रा (27 फरवरी 1941): इस बार गांधीजी कमला नेहरू अस्पताल के उद्घाटन के सिलसिले में जबलपुर आए. इस दौरान वे व्यौहार राजेंद्र सिंह के साठिया कुआं स्थित निवास पर ठहरे थे. यह उनका संक्षिप्त प्रवास था, लेकिन इस यात्रा का उद्देश्य भी स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ था.
  • चौथी और अंतिम यात्रा (27 अप्रैल 1942): गांधीजी की अंतिम यात्रा मदन महल में स्थित पंडित द्वारका प्रसाद मिश्रा के निवास पर हुई. यह यात्रा भारत छोड़ो आंदोलन से पहले की थी, जब देश का स्वतंत्रता संघर्ष चरम पर था.

Gandhi Jayanti 2024: गांधी जी पर आधारित खास डाक टिकट

भेड़ाघाट यात्रा

अपनी जबलपुर यात्राओं के दौरान गांधीजी ने विश्वप्रसिद्ध भेड़ाघाट का भी दौरा किया था. भेड़ाघाट की संगमरमर की चट्टानों और धुआंधार जलप्रपात ने गांधीजी को प्रभावित किया. उन्होंने नाव में बैठकर इस प्राकृतिक सौंदर्य को निहारा और इस स्थान की प्रशंसा की. गांधीजी की इन यात्राओं का न केवल स्वतंत्रता संग्राम पर, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों पर भी गहरा प्रभाव पड़ा. जबलपुर के लोग आज भी उन स्थानों को सहेज कर रखते हैं, जहां गांधीजी ठहरे थे और जिनसे उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षण जुड़े हैं.

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