Dindori News: फ्री बीज के लिए चक्कर काट रहे हैं किसान, इन शर्तों से अन्नदाता परेशान

Free Beej Yojana: किसानी और परेशानी का साथ हर दिखता है. भले ही किसान कल्याण के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन उनकों सिस्टम की दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है. हालिया मामला मध्य प्रदेश के डिंडौरी से आया है, जहां मुफ्त बीज वितरण को लेकर किसानों को चक्कर लगवाया जा रहा है.

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Dindori Latest News: मध्यप्रदेश सरकार किसानों के कल्याण के लिए अनेकों योजनाएं संचालित कर रही है, उन्हीं में से एक किसानों (MP Farmers) को निःशुल्क बीज वितरण करने की योजना (Free Beej Yojana) है, जिसके तहत पंजीकृत किसानों को मुफ्त में 75 किलो दलहन का बीज दिए जाने का प्रावधान है. लेकिन डिंडौरी जिले (Dindori District) में निःशुल्क बीज वितरण करने के नाम पर अन्नदाताओं को लूटने का काम किया जा रहा है. यहां निःशुल्क बीज देने के नाम पर दवाईयों (Pesticides) के एवज में प्रत्येक किसानों से तीन-तीन हजार रुपये वसूले जा रहे हैं. इसके अलावा उन्हीं किसानों को फ्री में बीज दिया जा रहा है, जिस किसान ने तीन हजार रुपये की दवाईयां खरीदी हो.

कहां का है ये मामला?

ये मामला मेंहदवानी विकासखंड मुख्यालय का है, जहां कृषि विभाग (Krishi Vibhag) के अधिकारी किसानों को फ्री में बीज देने से पहले आठ किलोमीटर दूर दवाई दुकान से तीन हजार रूपये की दवाईयां खरीदकर लाने के लिए मजबूर करते हैं और जब किसान तीन हजार रुपये का बिल जमा करते हैं, तभी किसानों को बीज दिया जाता है.

जिम्मेदारों का क्या कहना है?

कृषि विभाग के अधिकारी हेमंत मरावी से जब हमने जानना चाहा कि किसानों से दवाईयों के नाम पर तीन हजार रुपये क्यों वसूले जा रहे हैं? इस पर उनका कहना है कि किसानों के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से 1975 रुपये जमा कराया जाना है, लिहाजा किसानों से दवाइयों के बिल जमा कराए जा रहे हैं.

ऐसे में यदि कृषि विभाग के अधिकारी की बात मान भी ली जाये तो सवाल यह उठता है कि डीबीटी के जरिये जब किसानों के बैंक खाते में 1975 रुपये जमा कराया जाना है तो किसानों से तीन हजार रुपये क्यों वसूले जा रहे हैं? यानि प्रत्येक किसान से अतिरिक्त एक हजार रुपये वसूले जा रहे हैं. हैरान करने वाली बात यह भी है कि जिस दवाई दुकान से किसानों को दवाईयां खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है, उस दुकान से कई किसानों को बिना जीएसटी वाला बिल थमाया जा रहा है.

दुकान संचालक का क्या कहना है?

कुछ बिलों में जीएसटी नंबर वाला सील अलग से लगाकर दिया जा रहा है जिसे गैरकानूनी माना जाता है. NDTV ने उस दवाई दुकान के संचालक से भी बात की तो उन्होंने खुद को लायसेंसी दुकानदार बताते हुए गोलमोल जवाब दिए. निःशुल्क बीज वितरण योजना में किसानों के साथ हो रही लूट को लेकर हमने कृषि विभाग के उपसंचालक अभिलाषा चौरसिया से भी बात करनी चाही, लेकिन वे इस मामले में कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बचती हुई नजर आईं.

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